नहीं मिली सहायता राशि दस साल बाद भी इनका सहायता नहीं मिली। नटू राठौड़ की विधवा धर्मिष्ठा साड़ी पर कढ़ाई और लोगों के घरों में काम कर बच्चों का पेट पाल रही है। मुकेश राठौड़ की दादी लक्ष्मी बताती हैं कि सरकार ने कभी सुध नहीं ली। बलवंत की विधवा दमयंत्री टंडेल ने बताया कि अब तो सरकार से सहायता मांगने में भी शर्म महसूस होती है। आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।
मौत पर भी कर दिया भेदभाव ब लवंत के बेटे उमेश टंडेल का कहना है कि पिता का शव नहीं मिला, इसलिए सरकार कुछ देने को राजी नहीं है। आतंकी कब्जा करने के बाद बोट के कैप्टन अमरसिंह को मुंबई तक ल गए। उन्हें भी वहां पहुंचने के बाद मार दिया था। उनका शव बरामद हुआ था। सरकार ने उनके बेटे को सरकारी नौकरी व सहायता दोनों दी, लेकिन यहां हमारी गुहार सुनने वाला कोई नहीं है।