scriptअपनी ये फरियाद लेकर सीएम ठाकरे के पास जाएंगे बीडीडी चॉल के स्टॉलधारक ? | Will BDD Chawl stall holders go to CM Thackeray with his complaint? | Patrika News

अपनी ये फरियाद लेकर सीएम ठाकरे के पास जाएंगे बीडीडी चॉल के स्टॉलधारक ?

locationमुंबईPublished: Dec 12, 2019 11:18:35 am

Submitted by:

Rohit Tiwari

अब सीएम ठाकरे ( CM Thackeray ) के पास जाएंगे बीडीडी चॉल ( BDD Chawl ) के स्टॉलधारक ( Stall Holder ), पुनर्वास परियोजना ( Rehabilitation Project ) में 650 स्टॉल धारकों ने की फरियाद ( Complaint ), म्हाडा ( Mhada) के साथ कई बार हो चुका है पत्राचार ( Correspondence ), बीडीडी स्टॉल धारकों के संरक्षण दल ( Conservation Team ) ने फिर उठाई मांग

अपनी ये फरियाद लेकर सीएम ठाकरे के पास जाएंगे बीडीडी चॉल के स्टॉलधारक ?

अपनी ये फरियाद लेकर सीएम ठाकरे के पास जाएंगे बीडीडी चॉल के स्टॉलधारक ?

मुंबई. बीडीडी चॉल के स्टॉलधारकों ने अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अदालत में दस्तक देने का फैसला किया है। हमें पुनर्वास परियोजना में बीडीडी को शामिल करना चाहिए। बीडीडी स्टॉल धारकों के संरक्षण दल ने यह मांग करने का निर्णय लिया है कि स्टॉल धारकों के साथ भी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएं। वर्ली, एनएम जोशी मार्ग ओर नायगांव में कुल 650 स्टॉल धारक हैं, जिनके फ्लोर मिल, लॉन्ड्री, छोटे ऑफिस, पोल्ट्री जैसे कई बिजनेस चलाते हैं। वहीं म्हाडा के साथ कई बार पत्राचार में अब तक स्टॉल धारकों की ओर से बहुत ही सकारात्मक रहा है।

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संस्था के अध्यक्ष ने फिर मांगा समय…
विदित हो कि म्हाडा ने अभी तक एक अलग बैठक नहीं बुलाई है। पहले पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के पास समय न होने के चलते उस समय बैठक आयोजित नहीं की जा सकी। वहीं संस्था के अध्यक्ष नंदू पोयरेकर की माने तो अब हम उद्धव ठाकरे के साथ पत्राचार कर रहे हैं, ताकि बैठक के लिए फिर से समय मांग सकें। वहीं जितने स्टॉल की जगह है उतने ही स्टॉल की जगह लोगों की ओर से मांग की जा रही है। लेकिन म्हाडा ने एनएम जोशी मार्ग में निवासियों और वाणिज्यिक घर धारकों के साथ एक समझौता किया है। उन्हें वैकल्पिक तौर पर ट्रांजिट कैम्पों में भी स्थानांतरित किया गया है, लेकिन स्टॉल धारकों के लिए अभी तक किसी भी तरह का कोई अनुबंध या बातचीत नहीं की गई।
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धारकों के सामने दस्तावेज का संकट…
स्टाल धारकों में से कई 1980 से विभिन्न व्यवसायों में अपने स्टालों के माध्यम से यहां सेवा दे रहे हैं। उनमें से कई की तीसरी पीढ़ी भी स्टाल का काम ही संभाल रही है, भले ही स्टाल धारक वर्षों से यहां रहते हैं, लेकिन चुनौती अब उनके सामने उनके लायक साबित होने की है। बीडीडी चॉल साइटों पर लोक निर्माण विभाग की ओर से लगातार कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है। इसी तरह अनधिकृत स्टालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसा भी कोई तरीका नहीं है कि इस स्थान के स्टॉल धारकों को जुर्माना वसूल कर रसीद दी गई हो। इसलिए कई स्टॉल धारकों के सामने दस्तावेज की कठिनाई बहुत बड़ी है।

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