एटीआर: चेचनाडीह के जंगल में लगी आग, लगातार बढ़ती जा रही हैं लपटें
मुंगेलीPublished: Apr 29, 2019 12:23:49 pm
वन्य जीवों पर संकट: विभागीय अधिकारी आग बुझाने के लिए नहीं कर रहे प्रयास
एटीआर: चेचनाडीह के जंगल में लगी आग, लगातार बढ़ती जा रही हैं लपटें
लोरमी. अचानकमार टाइगर रिजर्व के विभिन्न हिस्सों में भयावह आग लगी हुई है। आग की लपटें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं, लेकिन संबधित विभाग के अधिकारी आग को बुझाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं कर रहे हंै। जंगल में लगी आग तेजी से बढक़र हरे भरे पेड़-पौधों व कीमती इमारती लकडिय़ों को अपने चपेट में ले रहे हैं। रात के समय में जंगल का चित्र एक चमकीले आकार में दिखता है, जो हजारों वर्ग फीट पर आग की चमक दिखाई देती है।
ताजा जानकारी के अनुसार गाभीघाट सहित अघरिया, बरगन के जंगलों में भयानक आग लग चुकी है। लेकिन अधिकारी को आग को बुझाने तो छोड़ जानकारी लेने मौके पर भी नहीं पहुंचे हैं। हजारों रुपए की तनख्वाह लेने वाले अधिकारी बिलासपुर में बैठकर आराम फरमा रहे हैं, लेकिन जंगल में लगी आग को देखने का भी समय उनके पास नहीं है। जानकारी मिली है कि अभी आग को लगे 4 दिन हुये हैं, लेकिन इतने में ही अघरिया, बरगन सहित गाभीघाट के बड़े हिस्से को आग ने जलाकर राख कर दिया है। आग पूरी जंगल को अपने कब्जे में ले रहा है। इधर तेज व भीषण गर्मी भी आग को बढऩे के लिए आगे की ओर धकेल रहे है। जंगल में लगी आग लाखों वन संपदा को नष्ट करते जा रही है। वहीं आग को बुझाने के लिए विभाग समुचित प्रयास नहीं कर रहे हैं।
जंगली जानवरों पर मंडरा रहा है खतरा
अचानकमार को टाईगर रिजर्व इसलिए बनाया गया है कि यहां घनघोर जंगल होने के साथ साथ भारी मात्रा में जंगली जीव रहते हंै। लेकिन आग प्रतिवर्ष लग जाती है जिससे एटीआर के बड़े हिस्से को नुकसान पहुंचता है। आग ऐसी जगह पर लगती है जहां पर जंगली जानवरों का भारी मात्रा में बसेरा होता है। ऐसे में इस बात से अंजान बने अधिकारी भलिभांति जानते हंै कि आग पर काबू पाने के लिए पहले से ही प्रयास करनी चाहिए, लेकिन अधिकारी गहरी नींद में सोये रहते हंै और जब आग लगने के साथ भयावह हो जाती है तब अधिकारी बुझाने का प्रयास करते हैं, लेकिन आग की तपिश इतनी तेज होती है कि लोग आग से 500 मीटर दूर पर ही ठहर जाते हैं।
चेचानडीह के जंगलों में इन दिनो भयावह आग लगी हुई है। आग की चिंगारी के साथ लपटे तेजी के साथ बढ़ रहा है। रात को जंगल का क्षेत्र चमकीला दिखाई देता है जो आग के भयावह का गवाह है। जानकारी मिली है कि आबादी क्षेत्रो में सबसे ज्यादा आग लगा दी जाती है जो बढक़र पूरा जंगल को अपने लपेटे में लेकर जंलाकर राख कर देता है।
बजट न होने का हवाला देकर विभाग ने नहीं की फायर वाचर की नियुक्ति
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बजट नहीं होने का हवाला देते हुये संबधित अधिकारी अभी तक फायर वाचर की नियुक्ति नहीं की गई है। इस कारण आग नहीं बुझा पा रही है। वनरक्षक भीषण आग को देखकर वापस आ जाते हैं और न तो उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचे है और न ही जिम्मेदार रेंजर मौके का मुआयना कर रहे हैं। कुलमिलाकर इस आग से लाखो पेड़ जलकर नष्ट हो रहे है लेकिन अधिकारी बजट का हवाला देकर आग को बुझाने का प्रयास नहीं कर रहे है। अमूमन 15 फरवरी को फायर का महीना चालू हो जाता है। इससे पहले ही फायर वाचर की नियुक्ति कर दी जाती है, लेकिन आलसी अधिकारी इस बात से अनजान बनकर सबकुछ देख रहे है। लेकिन अभी तक फायर वाचर की नियुक्ति नही कर रहे है।
महुआ बीनने लगा दी जाती है आग,
मार्च माह में महुआ का फूल गिरने लगता है। जंगल के आसपास बसे लोग महुआ फूल बीनने जाते हैं। पेड़ के नीचे पतझड़ होने के चलते महुआ फूल पत्तो में छिप जाते हैं, लेकिन जब इन पत्तों पर आग लगा दी जाती है तो महुआ फूल बीनने लोगों को आसानी होती है। इस पर सवाल उठ रहा है कि आखिर भी वहां पर ड्यूटी करने वाले वनरक्षक आग को बुझाने का प्रयास क्यों नहीं करते हैं जबकि आग थोड़ी ही जगह पर लगायी जाती है और उसके ड्यूटी पर रहते हुये आग कैसे लगा दी जाती है, यह भी एक बड़ा सवाल है। फिलहाल विभागीय अधिकारी इस तरफ ध्यान देना ही मुनासिब नहीं समझते।