शालाओं के जर्जर भवनों से हादसे की आशंका
मुंगेलीPublished: Jul 27, 2019 06:58:54 pm
लापरवाही: नए बन रहे, पर नहीं तोड़े जा रहे पुराने भवन
शालाओं के जर्जर भवनों से हादसे की आशंका
पथरिया. पथरिया विकास खण्ड अंतर्गत अनेकों विद्यालयों में बेहद पुराने और 90 के दशक में निर्मिति टूटे फूटे और अति जर्जर भवन मौजूद हैं। जो लगातार किसी अप्रिय घटना या को दावत दे रहे हैं। इनमें से कुछ भवन ऐसी अवस्था में हैं, जिसकी मरम्मत करना लगभग असंभव सा प्रतीत होता है और उन्हें धराशायी करने का एकमात्र विकल्प ही नजर आता है।
ज्ञात हो कि राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अंतर्गत विद्यार्थियों को सभी सुविधाएं मुहैया कराए जाने के उद्देश्य से शासन प्रशासन निरंतर प्रयासरत है। इसके अंतर्गत सुव्यवस्थित बैठक व्यवस्था, नवीन भवन व श्रेष्ठ शिक्षकों की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विशेष कर विद्यार्थियों की बैठक व्यवस्था के लिए प्रतिवर्ष अनेकों विद्यालय प्रांगण में अतिरिक्त भवनों का निर्माण भी कराया जा रहा है, लेकिन इन सबके बीच शासन प्रशासन द्वारा एक अज्ञात खतरे को लगातार नजर अंदाज किया जा रहा है या यूं कहें कि कभी इस ओर उनका ध्यानाकर्षण ही नहीं हुआ। राजीव गांधी शिक्षा मिशन (सर्व शिक्षा अभियान) कार्यालय पथरिया से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विकास खण्ड के 42 शासकीय शाला भवनों की स्थिति अति जर्जर अथवा भवनविहीन है। इस कारण शालाओं की कक्षाएं आंगनबाड़ी से लेकर मंगल भवन तक में संचालित की जा रही है। वहीं दर्जनों विद्यालय ऐसे हैं, जहां भवन जर्जर हो चुका है, फिर भी विकल्प नहीं होने के कारण उसी जर्जर भवन में ही शाला लगाया जा रहा है। इसी तरह भिन्न-भिन्न विद्यालयों में दीवाल में दरार, फर्श में दरार और छत में दरार वाले भवन भी शामिल है। विकास खण्ड के कुछ शासकीय विद्यालयों के भवनों में दरार और छत में पानी का रिसाव होने के बाद भी शालायें उसी भवन में ही संचालित की जा रही है। कारण, सम्बंधित विद्यालय के पास भवन नहीं है। जो किसी अप्रिय घटना को आमंत्रित करने सरीखा प्रतीत होता है। शिक्षा विभाग द्वारा नवीन भवनों के लिए मांग की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है। इस तरह ऐसे विद्यालयों के विद्यार्थियों को खतरे के साये में ही शिक्षा ग्रहण करना पड़ रहा है।
विकास खण्ड के अंतर्गत अति जर्जर एवं अनुपयोगी भवन शाला परिसर में अपने अछत अवस्था मे ही पड़े हुए हैं, जिसको तोडऩेे की कार्रवाई अभी तक देखने को नही मिली है। नियमानुसार विभाग को संस्था प्रमुख लिखित सूचना देकर तोडऩे या ध्वस्त करने की अनुशंसा कर सकते हैं, जिससे अप्रिय घटनाओं से भी बचा जा सकता है। साथ ही ऐसे भवनों के हट जाने से शालाओं में खेल खुद के लिए भी पर्याप्त जगह बन सकती है । इसका बड़ा उदाहरण ब्लॉक मुख्यालय स्थित पुराना शाला भवन है, जो अति जर्जर अवस्था में विगत कई सालों से पड़ा हुआ है। बताते चलें कि इनके निकट ही शासकीय प्राथमिक शाला संचालित की जा रही है। जहां के बच्चे इन अछत पड़े भवनों के पास खेलते हुए प्रतिदिन देखे जाते हंै। अनुपयोगी भवन जबरिया घेरे हुए हैं स्थान
दो दर्जन विद्यालय भवन ऐसे हैं, जो अति जर्जर हो कर अनुपयोगी हो चुके हैं। इस कारण वहां शालाएं नहीं लगाई जा रही हैं। ऐसे विद्यालयों को तोडक़र उसी स्थान पर नए भवन का निर्माण किया जा सकता है। शिक्षको ने बताया कि ऐसे भवन बच्चों के सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी खतरनाक है। क्योंकि शाला समय में लघु अवकाश के दौरान बच्चे उन्हीं भवनों के इर्द गिर्द खेलते देखे जाते है, जो अप्रिय घटना का कारण बन सकते हैं। वहीं ऐसे भवनों को तोड़ कर समतल कर देने से बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त जगह भी मिल जाएगी।