धूमधाम से सम्पन्न कराई गई तपस्या की पूर्णाहुति
धूमधाम से सम्पन्न कराई गई तपस्या की पूर्णाहुति
मुंगेली. स्थानीय जैन मंदिर में चार्तुमासिक आराधना साध्वीवृंद के मार्गदर्शन में अनवरत जारी है। इसी क्रम में विगत दिवस रीतिका लोढ़ा ने मासक्षमण तप कर आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त किया। उल्लेखनीय है कि स्थानीय जैन मंदिर में साध्वीत्रय दर्शन प्रभाश्री, ज्ञान प्रभाश्री एवं चारित्र प्रभाश्री की पावन निश्रा में चार्तुमासिक आराधना के अंतर्गत तप, जप एवं स्वाध्याय का क्रम विविध रूप में जारी है। तपस्या के क्रम में नगर की रीतिका लोढ़ा पुत्री ललित कुमार माया देवी लोढ़ा ने मासक्षमण तप किया। उन्होंने लगातार तीस दिन तक अन्न सहित सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों का त्याग करते हुए केवल पानी का उपयोग किया। रीतिका लोढ़ा की तपस्या की पूर्णाहुति विगत दिवस धूमधाम से संपन्न हुई। इस अवसर पर लोढ़ा परिवार द्वारा तीन दिवसीय विविध कार्यक्रम गुरूवर्याश्री के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। प्रथम दिवस पूजा, अर्चना व प्रवचन के साथ-ंसाथ गीत गुंजन कार्यक्रम महिलाओं के लिए विषेश रूप से आयोजित किया गया। द्वितीय दिवस तपस्वी के निवास स्थान से धूमधाम के साथ शोभायात्रा निकाली गई, जो कि नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए जैन मंदिर पहुंचकर संपन्न हुई। तपस्वी द्वारा मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात स्थानीय जैन समाज द्वारा तपस्वी रीतिका लोढ़ा का सम्मान समारोह आयोजित किया। अभिनंदन पत्र का पठन चातुर्मास समिति के सचिव नवरतन जैन ने किया। समारोह को अनेक लोगों ने संबोधित करते हुए तपस्या की अनुमोदना की। इनमें जैन समाज के वरिष्ठ शांतिलाल लुनिया, श्वेता संचेती वारासिवनी, ममता लोढ़ा पंडरिया, प्रमोद देवी लोढ़ा, श्रेयांश गोलछा, मनीश चोपड़ा, प्रितेश चोपड़ा, सुरभि कोटडिय़ा व प्रिया चोपड़ा आदि शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन चार्तुमास समिति के अध्यक्ष अशोक गोलछा ने किया। तत्पश्चात कंवरलाल बैद ओसवाल भवन में स्वधर्मी वात्सल्य का आयोजन किया गया। रात्रि में लोढ़ा परिवार के निवास पर राजनांदगांव के सुप्रसिद्ध गायक भावेश बैद एवं शांति विजय सेवा समिति के गायकों द्वारा भजनों की शानदार प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के तृतीय दिवस प्रात: मंदिर में शासन माता पूजन एवं गुरूवर्याश्री के प्रेरक प्रवचन हुए। इसके पश्चात गुरूवर्याश्री के सानिध्य में सकल जैन समाज बाजे-गाजे के साथ तपस्वी के निवास स्थान पहुंचे। जहां तपस्वी का पारणा (तपस्या की पूर्णाहूति) कराई गई। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।