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प्रदेश के इस गांव में ढ़ूढ़े से भी नहीं मिल रहा पानी, कंठ तर करने बच्चे धरती को खरोंच खरोंच कर निकल रहे पानी

locationमुंगेलीPublished: Jun 13, 2019 11:15:26 am

Submitted by:

Murari Soni

भीषण गर्मी (Hot summer)के चलते इस बार नदियां सूख चुकी (River drye) हैं। पुरे क्षेत्र का जलस्तर काफी नीचे गिर चुका है(water level Low )। इसके चलते क्षेत्रवासियों को बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा (drinking water crisis) है।

Ground Water Crisis in this village of the state

प्रदेश के इस गांव में ढ़ूढ़े से भी नहीं मिल रहा पानी, कंठ को तर करने बच्चे धरती को खरोंच खरोंच कर निकल रहे पानी

लोरमी. भीषण गर्मी (Hot summer)के चलते इस बार नदियां सूख चुकी (River drye) हैं। पुरे क्षेत्र का जलस्तर काफी नीचे गिर चुका है(water level Low )। इसके चलते क्षेत्रवासियों को बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा (drinking water crisis) है। वहीं वनांचल के ग्रामों में(villages) पानी की समस्या तो और विकराल रूप ले चुका है। कुछ जगह पर तो वनांचलवासियों को झिरिया से पानी निकालकर पीने को मजबूर होना पड़ गया है। 
इधर पीएचई विभाग (PHE)के जिम्मेदार अधिकारी आराम फरमा रहे हंै। जबकि वनांचल क्षेत्र के अधिकांश हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। जो कुछ ठीक है उससे खराब पानी निकलता है। गौरतलब है इस वर्ष पुरे प्रदेश में भारी भीषण गर्मी का प्रकोप रहा है। कुछ वर्षों से लोरमी क्षेत्र में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण नदी, तालाब सूख चुके हंै, जिसके कारण सभी जगहों पर जल स्तर भी काफी नीचे जा चुका है। वनांचल क्षेत्र की बात करे तो हेण्डपंपों की मरम्मत नहीं होने से आदिवासियों की स्थिति पानी को लेकर काफी खराब है। पानी पीने के लिए उचित साधन तक नहीं है। वनांचल के बैगा आदिवासी नदी नालों में झिरिया खोदकर पानी पीने को मजबूर हैं। दूसरी ओर पीएचई विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे और एसी कमरों में आराम फरमा रहे है।
जकड़बांधा का मामला
ग्राम जकड़बांधा के ग्रामीण पानी के एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। उक्त ग्राम का हेण्डपंप काफी दिनों से खराब है। वही ग्राम के एक मोहल्ले में जहां हेण्डपंप ही नहीं है, जिसके कारण उक्त मोहल्ले के ग्रामीण पानी के लिए झिरिया का सहारा ले रहे है। गांव की महिला, बच्चे पानी लेने के लिए दूर नदी के नालों में जाते हैं, जहां उनके द्वारा गड्ढ़ा खोदकर पानी निकाला जाता है। ग्रामीणों से पूछने पर बताया कि प्रतिदिन यहां आकर झिरिया से पानी निकालते है और उसका उपयोग करते हैं। इस संबंध में जब पीएचई विभाग के अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मोबाइल यूनिट बनाई गई है। हर गांव में व्हाट्सअप नंबर दिया गया है, जिससे गांव में पानी की समस्या की जानकारी मिलने पर निदान किया जा सके। लेकिन वनांचल में पानी की गंभीर समस्या अब तक दूर नही किया जा सका है। जलस्तर गिरने के कारण कहीं बोर सूखे पड़े हैं तो कहीं हेण्डपंप खराब है तो कहीं खराब पानी आ रहा है। वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों की समस्या को सुनने वाला कोई नहीं। 
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व्हाट्सअप पर नहीं मिला मैसेज
विभाग के अधिकारी मोबाइल यूनिट और गांव में व्हाट्सअप नंबर दिये जाने की बात कहते हैं। व्हाट्सअप पर जानकारी नहीं मिलने की बात कहने वाले अधिकायरी यह भूल जाते हैं कि वनांचल क्षेत्र में नेटवर्क बड़ी समस्या है। वही ग्रामीणों को मोबाइल यूनिट की भी जानकारी नहीं है।
वनांचल क्षेत्र में पानी की गंभीर समस्या है। जलस्तर नीचे चला गया है। हेण्डपंप सूख चुके है(handpumps have dried), तो कई हेण्डपंप खराब हैं। पीएचई विभाग (PHE Department)के अधिकारीयों की सुस्ती की वजह से नलों का मरम्मत नहीं कराया जा सका है। पानी की समस्या ((drinking water crisis))को विभाग के अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते है। पानी की समस्या को लेकर विभागीय मंत्री से मिलकर अवगत कराया जाएगा।
सागर सिंह बैस, पुर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष लोरमी

&मेरे कार्याकाल के दौरान जाकड़बांधा में सौर उर्जा पंप करवाया गया था। जानकारी लेते है तथा समस्या को लेकर अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। जल्द समस्या का समाधान किया जायेगा।
तोखन साहू, पूर्व विधायक (MLA)लोरमी


&हेण्डपंप खराब की जानकारी मिली है, लेकिन उक्त क्षेत्र वन विभाग का आता है। फिर भी कर्मचारियों को हेण्डपंप सुधार करने भेजेंगे। वनविभाग से किसी भी समस्या की जानकारी नहीं मिलती।
आईएस कश्यप, पीएचई विभाग सब इंजीनियर(PHE Department Engineers)

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