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…38 दिनों में बढ़ गया क्षेत्र का जलस्तर, 39वें दिन बोर खनन से प्रशासन ने हटाया प्रतिबंध

locationमुंगेलीPublished: Apr 30, 2019 01:09:08 pm

Submitted by:

Murari Soni

क्षेत्र समेत सम्पूर्ण जिले में तेजी से घट रहे भू-जल स्तर के बावजूद कलेक्टर कार्यालय से चौंका देने वाला आदेश पारित

... increased water level in 38 days, ban removed from borer by admini

…38 दिनों में बढ़ गया क्षेत्र का जलस्तर, 39वें दिन बोर खनन से प्रशासन ने हटाया प्रतिबंध

पथरिया. क्षेत्र समेत सम्पूर्ण जिले में तेजी से घट रहे भू-जल स्तर और गर्मी के दिनों में संभावित जल संकट से निपटने के मद्देनजर मुंगेली कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने जिले में आगामी आदेश तक नलकूप खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था, ताकि भू-जल का अनावश्यक दोहन रोका जा सके, लेकिन इसके 38 दिनों बाद ही कलेक्टर कार्यालय से चौंका देने वाला आदेश पारित हुआ, जिसमें कार्यपालन अभियंता, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मुंगेली के पत्र क्र. 867/त. शा./का.अभि./लो.स्वा.या.खण्ड/2019-20 मुंगेली दिनांक 10 अप्रैल में किये गए अनुशंसा के आधार पर उक्त आदेश को निरस्त करते हुए सम्पूर्ण मुंगेली जिले के आबादी क्षेत्र में नलकूप व बोर खनन की अनुमति प्रदान कर दी गई।
बताते चलें कि कलेक्टर भूरे ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता के प्रतिवेदन के आधार पर दिनांक 5 मार्च को जल परिरक्षण संशोधन अधिनियम 1987 की धारा 6 के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदत्त शक्तिओं का प्रयोग कर नलकूप खनन हेतु प्रतिबंध लगाया था, जिसमें सक्षम प्राधिकारी के अनुमति प्राप्त कर नलकूप खनन की बात भी कही गई थी। साथ ही इस प्रतिबंध का पालन नहीं करने वाले अथवा सक्षम अधिकारी के अनुमति बिना बोर खनन करने वालो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी आदेश दिया गया था। प्रशासन द्वारा जारी आदेश में सम्पूर्ण जिले को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करने का सबसे प्रमुख बिंदु क्षेत्र के लगातार गिर रहे जल स्तर को बताया गया था। लेकिन प्रतिबंध आदेश के 39वें दिन ही प्रशासन की नजर में सम्पूर्ण जिले का जलस्तर चमत्कारी रूप से बढ़ गया, जिससे जल संसाधन में लबालब पानी का जमाव हो गया और क्षेत्रवासियों को पेयजल व निस्तारी हेतु पर्याप्त मात्रा में जल प्राप्त होने लगा। यह देखते हुए प्रशासन ने बोर खनन प्रतिबंध को निरस्त करने का आदेश फौरन जारी कर दिया। प्रशासन का यह निर्णय चौंकाने के साथ-साथ हास्यास्पद बना हुआ है। क्योंकि जिन समस्याओं को केंद्र बिंदु बना कर नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगाया गया था, वे अब भी ज्यों की त्यों ही बनी हुई हैं।
कुछ वर्षों से अल्प वर्षा के कारण बांध, कुआं व जलाशयों में पानी का पर्याप्त संग्रहण नहीं हो पा रहा है। इससे भूजल स्तर तीव्र गति से घटते क्रम की ओर जा रहा है। लोग अपनी जरूरतों को पूरी करने के उद्देश्य से अधिक मात्रा में नलकूप व बोर खनन कराते आ रहे हैं, जिससे भूजल का बड़ी मात्रा में अनावश्यक दोहन हो रहा है। इसके बावजूद कलेक्टर द्वारा बोर खनन से प्रतिबंध समाप्त किया जाना समझ से परे है।
नलकूप खनन पर लगे प्रतिबंध निष्क्रिय होने से बेझिझक धड़ल्ले से हो रहा प्रकृति से खिलवाड़
नलकूप खनन पर लगे प्रतिबंध को निष्क्रिय करने के तुरंत बाद ही बोर वाहन के एजेंट अत्यधिक सक्रिय हो चले हैं। बताते चलें कि 10 अप्रैल से प्रतिबंध हटने के बाद से लेकर वर्तमान तक सिर्फ पथरिया क्षेत्र में ही प्रतिदिन 10 से 15 बोर खनन कराए जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो प्रतिबंध हटने से लेकर अब तक लगभग 200 नए बोर पथरिया क्षेत्र में खनन लिए जा चुके हैं, जिनके उपयोग के नाम पर भूजल का दोहन और अनावश्यक उपयोग नागरिकों द्वारा अधिक मात्रा में किया जा रहा है। इससे आने वाले दिनों में जल संकट एक बहुत बड़ा श्राप बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। वहीं क्षेत्र में प्रतिदिन दर्जनों बोर खनन करने वाले नए-नए वाहन सुबह शाम चक्कर काटते फिर रहे हैं।
जागरूकता का अभाव होने से भविष्य संकट में
बताते चलें कि शासन प्रशासन अपने विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन एवं जमीनी स्तर तक योजनाओं की जानकारी देने हेतु अनेकों हथकंडे अपनाते हैं। वहीं जल संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे को लेकर प्रशासन और शासन की अभी तक कोई भी प्रभावशाली योजना देखने को नहीं मिली है। वही खानापूर्ति की बात की जाए तो इसमें नगर पंचायत पथरिया सबसे अग्रणी साबित हो रहा है। नगरीय प्रशासन द्वारा यहां के शासकीय नलों में टोटी लगाने का दिखावा किसी से छुपा हुआ नहीं है। नगर पंचायत के कर्मचारी अचानक से किसी दिन जागरूक होकर वार्डो के नलों में टोटी लगाने निकल पड़ते हंै और वापस आते आते उक्त टोटी फिर से गायब मालूम पड़ते है।
बोर एजेंटो के दबाव से शिथिल पड़ गई व्यवस्था
मिली जानकारी के अनुसार बोर एजेंट अपने-अपने क्षेत्रों में नलकूप व बोर खनन के माध्यम से प्रतिवर्ष लाखों रुपये का कारोबार करते हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा इस कार्य मे प्रतिबंध लगाने से उनकी गाड़ी कमाई पर अंकुश लग गया, जिससे बौखलाए बोर एजेंट विभिन्न माध्यम और स्रोत के जरिए इस प्रतिबंध के खिलाफ लगातार जूझते दिखाई देते रहे, और अन्तत: उन्हें विजय रूपी इस प्रतिबंध से निजात मिल ही गई। जानकारों के मुताबिक बोर एजेंटो के दबाव के फलस्वरूप ही नलकूप खनन से प्रतिबंध हटाया गया है, जबकि भूजल स्तर की समस्या दिन दोगुनी रात चार चौगुनी की तर्ज पर बढ़ती ही जा रही है।
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