पोला पर्व कृषि प्रधान रहे छत्त्ीसगढ का प्रमुख त्योहार है। इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस समय किसान अपने खेतों में जुताई-बुवाई का काम पूरा कर चुके होते हैं। उनको इंतजार रहता है फसल पकने का। खेती में मुख्य रोल रहता है। बैलों का इसी बैल की पोला पर्व में पूजा करके उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का यह त्योहार है। मगर अब इस मषीनी युग में हल-बैलों की उपयोगिता कम होने से इस त्योहार के प्रति लोगों का उल्लास कम औपचारिक अधिक हो गया है। सालों पहले पोला के समय हर बच्च्ेा के हाथ में चक्के लगे बैल होते थे, जिसे वे सडक़ों पर या घर में चलाकर अपना मनोरंजन करते थे। मगर अब बच्चों के लिए भी मनोरंजन की परिभाशा बदल गयी है। मोबाइल में गेम खेलने वाले बच्चों के लिए अब ऐसे खेलों में कोई रुचि नहीं रही। मगर ग्रामीण क्ष़ेत्रों में तो अभी भी इस पर्व की प्रासंगिकता शेष है। गांवों में अभी भी इस पर्व को श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। हालांकि बढ़ती मंहगाई ने मिट्टी के बनने वाले बैलों को भी चपेट में ले लिया है। इस साल गोल बाजार में बिक रहे बैलों की जोडी 40 रुपए जोड़ी के भाव से मिल रही है। जिसके कारण इन खिलौनों की बिक्री काफी घटी है।
पोला पर्व पर भगवान भोलेनाथ की आएगी बारात: दगोरी. छत्तीसगढ़ के पारम्परिक त्योहार पोला पर्व पर भगवान भोलेनाथ की ऐतिहासिक देवरानी जेठानी मंदिर तालागांव में स्वयम्भू शिवधाम मोहभ_ा से भगवान भोले नाथ की की बारात आएगी। श्री सिद्धनाथ आश्रम सेवा समिति द्वारा आयोजन को सफल बनाने तैयारी किया गया है। इसमें हजारों की संख्या में शिव के भक्तजन उपस्थित रहकर अपनी मनोकामना पूरी करेंगे। रविवार 9 सितम्बर पोला पर्व पर यह आयोजन होगा। बारात स्वयम्भू शिव धाम मोहभ_ा से सुबह 9 बजे प्रारम्भ होगी। यात्रा बिल्हा पहुंचकर निपनिया, बिल्हा धौराभाठा, मोहदा, भोजपुरी व पौसरी होकर ग्राम तालागांव मन्दिर पहुंचेगी। बारात का जगह-जगह स्वागत, पूजा व आरती के साथ बारातियों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था भक्तजनों के द्वारा किया जाएगा।