मुंगेली. पाठक पारा मुंगेली में 10 जनवरी श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। कथा व्यास के रूप में आचार्य झम्मन प्रसाद शास्त्री ने शुकदेव एवं राजा परीक्षित की कथा विस्तार से सुनाई। उन्होंने भागवत महापुराण के महत्व एवं कलयुग में परमपिता परमेश्वर का निवास के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि मानव मात्र के कल्याण के लिए कलयुग में यह एकमात्र साधन है। भगवान की कथा, भगवान का गुणगान बाद एवं श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा मानव की मोक्षदायिनी गंगा है। कलयुग में मनुष्य के पास कम समय में इस महान ग्रंथ का श्रवण एवं उसमें दिए गए उपदेश, ज्ञान के मार्ग में चलकर, मनुष्य अपना जीवन इस लोक में सुधार कर बैकुंठ लोक प्राप्त कर सकते हैं। कथा में सती
शिव संवाद तथा पार्वती पिता राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ के कथा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कोई भी यज्ञ नि:स्वार्थ भाव से सर्वजन सुखाय सर्वजन हिताय के भाव से किए जाने पर निश्चित ही सफल हो कर फलदायी होता है, लेकिन यज्ञ किसी दुर्भाव से प्रेरित होता है तो वह फलदायी नहीं होता। ऐसे यज्ञों को ईश्वर पूर्ण नहीं होने देते। उन्होंने रावण यज्ञ व मेघनाथ यज्ञ का उदाहरण देते हुए इसकी पुष्टि की। उन्होंनेकहा कि जिनके उद्देश्य सद्भावना से प्रेरित नहीं होते, उनका परिणाम विध्वंशकारी होकर और यज्ञ खंडित होकर इतिहास बनाता है। कथावाचक भक्त ध्रुव व राजा उत्पान की कथा में सुनीति सुरुचि के व्याख्या करते हुए बताया कि इस कलयुग में मानव के अंदर सुनीति व सुरुचि दोनों विद्यवान हैं, जो मानव सुनीति के अनुसार करते हैं, उनको परलोक में सद्गति मिलती है और इतिहास में उनका नाम अमर होता है। वहीं ऐसे मानव जो सुनीति को त्याग कर सुरुचि का अनुशरण करते हैं, निश्चित ही घर परिवार समाज के साथ इतिहास उन्हें क्षमा नही करते जैसे की बाल ध्रुव की माता सुनीति ने अपने बालक को सुनीति मार्ग में ले जाकर भागवत भजन मार्ग में प्रशस्त किया और कठोर तप कर भगवान को प्राप्त किया व अविचल पद प्राप्त किया। इसमें मुख्य याजमान प्रियकां प्रियेश चौबे हंै। चतुर्थ दिवस रामचरित्र वामन अवतार पर व पंचम दिवस पर
कृष्ण जन्मोत्सव व नंद महोत्सव छठवें दिन कृष्णलीला व रुक्मिणी विवाह, सातवें दिन सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष व अठावें दिन गीता
तुलसी व सहस्रधारा के उपरांत 9 वें दिन यज्ञ का समापन होगा।