सरकारी राशि डकारने की जांच में सरपंच ने नहीं मुहैया कराया रिकार्ड
लोरमी. ग्राम पंचायत नवागांव दयाली में सरपंच के द्वारा 14वां वित्त मद से मिले 20 लाख सरकारी राशि के गबन के मामले में जांच टीम के समक्ष सरपंच सचिवों ने रिकार्ड ही उपलब्ध नहीं कराया, जिससे जांच अधूरी रह गयी। इधर ग्रामीण रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराने के पीछे गबन को प्रमाणिकता के तौर पर बता रहे हैं। फिलहाल जांच टीम शिकायत के आधार पर बयान लेकर लौट गयी।
ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत नवागांव दयाली के ग्रामीणों ने एसडीएम जिला व जनपद पंचायत सीईओ को शिकायत कर बताया कि पंचायत में 14वें वित्त आयोग से वर्ष 2015-16 में चार लाख 7 हजार 292, वर्ष 2016-17 में 5 लाख 63 हजार 968 रुपए, वर्ष 2017-18 में 3 लाख 76 हजार 897 रुपए यानि वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक कुल चार वर्षों में पंचायत को 19 लाख 99 हजार 767 रुपए प्राप्त हुये। इस राशि से पंचायत द्वारा अब तक कोई भी कार्य नहीं कराया गया। ग्रामीणों ने लिखित शिकायत में बताया कि सरपंच सबाना देवी विजय पाटले द्वारा फर्जी प्रस्ताव बनवाकर राशि गबन कर लिया गया। इतना ही नहीं ग्राम सभा में शासन से प्राप्त कोई भी राशि की जानकारी एवं उस पर किये गये व्यय की जानकारी नहीं दी जाती। पंच, उपसरपंच एवं ग्रामवासियों का फर्जी हस्ताक्षर सरपंच पति के द्वारा किया जाता है। उक्त शिकायत पर जनपद सीईओ ने जांच के लिए टीम गठित कर भेजा, जिसमें पंचायत निरीक्षक रामकुमार पात्रे, करारोपण अधिकारी फागूराम पाटले्र व इंजीनियर सतीश साहू ने पंचायत में जाकर जांच की। जांच के दौरान सरपंच व सचिव के द्वारा पंचायत में रखे गये कोई भी रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया गया। जांच टीम ने सिर्फ शिकायतकर्ताओं और सरपंच का बयान लिया। शिकायतकर्ताओ ने बताया कि जांच टीम के समक्ष सरपंच द्वारा बताया गया कि 14वां वित्त की राशि को एसबीएम में समायोजन किया गया। इधर शिकायतकर्ताओं का कहना है कि जनपद कार्यालय से जानकारी प्राप्त हुई है कि 184 शौचालय निर्माण के एवज में 22 लाख रुपए स्वच्छ भारत मिशन एसबीएम के तहत पंचायत को प्राप्त हुये हंै और पंचायत द्वारा 202 शौचालय निर्माण की उपयोगिता जमा किया गया। 35 शौचालय मनरेगा के अंतर्गत बनाये गये हैं। इस तरह पंचायत को सिर्फ और सिर्फ 18 शौचालय की राशि प्राप्ति नहीं हुयी है, जबकि इसके बदले सरपंच ने 20 लाख रुपए की राशि आहरण कर गबन कर लिया है और फर्जी बिल भी लगाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत द्वारा जांच अधिकारियों के समक्ष रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराने से स्पष्ट होता है कि गड़बड़ी की गयी है।