विस्थापित ग्राम के बैगा आदिवासियों को नहीं मिल पा रही हैं मूलभूत सुविधाएं
मुंगेलीPublished: Jul 14, 2018 01:10:20 am
निर्माण कार्यों में की गई मनमानी
विस्थापित ग्राम के बैगा आदिवासियों को नहीं मिल पा रही हैं मूलभूत सुविधाएं
लोरमी. लोरमी विकासखंड से महज 15 किलोमीटर में कारीडोंगरी का आश्रित विस्थापित गांव बांकल, बोकराकछार और सांभरधसान है। जहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले 85 परिवार निवास कर रहे हैं। जहां इन बैगा आदिवासी परिवारों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने बताया यहां 85 घरों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण तो करवाया गया है, लेकिन गुणवत्ताहीन निर्माण होने के कारण कुछ शौचालय टूट गए हैं, जो सरपंच और विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की बड़ी लापरवाही है। अचानकमारटाइगर रिजर्व में बाघों को बचाने के नाम पर वहां सैकड़ों सालों से रहने वाले बैगा आदिवासियों को हटाया गया है। आदिवासियों को हटाने के नाम पर पिछले कई सालों से तमाम नियम कायदे और कानून को ताक पर रख कर वन विभाग द्वारा चलाए जा रहे जंगल राज ने इन बैगा आदिवासियों के सामने जीवन-मौत का प्रश्न पैदा कर दिया है। टाइगर रिजर्व में विस्थापन को लेकर वन विभाग की नीति कहती है कि विस्थापित होने वाले आदिवासियों को दो में से किसी एक तरीके से पुनर्वास का लाभ दिया जाए। पहला तो यह कि प्रत्येक विस्थापित परिवार को बैंक खाता खुलवा कर 10-10 लाख रुपए दे दिए जाएंं और दूसरा यह कि इसी दस लाख रुपए से उनके लिए मकान व जमीन की व्यवस्था कर दी जाए, लेकिन वन विभाग ने अपने ही बनाए नियम को ठेंगा दिखाते हुए जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि आज 85 परिवार अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। उनके खेत आज भी उबड़-खाबड़ और बंजर हंै। वहीं विभाग के द्वारा निर्मित कई मकान गिरने की स्थिति में है। इस पूरी मामले में जानकारी के लिए गांव के सरपंच नर्मदा प्रसाद से बात की गयी तो उनका कहना था कि विस्थापित ग्राम में शौचालय का निर्माण कर दिया गया है और जो टूट-फूट गए हैं, उन्हें जल्द ही सुधारा जाएगा। सवाल ये है कि अगर निर्माण कार्य में गुणवत्ता के साथ कार्य कराया जाता तो शौचालय में टूट-फूट की शिकायत नहीं आती।
वहीं गांव के ही रहवासी पुरुषोत्तम ने बताया कि विस्थापन के समय साभी मूलभूत सुविधा देने की बात कही गयी थी, जिसमें पक्के मकान, पक्की रोड, बिजली-पानी व खेती के खेत शामिल था, लेकिन इनमें से सिर्फ कुछ ही बातों पर अमल किया गया है और जो सुविधाएं दी गयी हैं, वे भी जर्जर हालत में पहुंच गयी हैं। रोड उखडऩे लगी है और मकानो में दरार आ गई हैं।
कुछ दिन पूर्व कलेक्टर ने भी दौरा कर सुनी थी समस्याएं: आदिवासियों के विकास की योजना का ठीक तरीके से क्रियान्वयन हो रहा है कि नहीं, इसकी मॉनिटरिंग भी की जाती है। जिले के कलेक्टर डोमन सिंह भी गांव का दौरा करते हैं। जब मुंगेली जिले के कलेक्टर ने उन तीनों विस्थापित गांव का दौरा किया तो उनसे आदिवासियों ने अपनी समस्या सुनाई, जिस पर कलेक्टर ने सरपंच को जल्द ही समस्याओं को दूर करने की हिदायत दी, लेकिन 1 हफ्ते से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्य नहीं किया जा सका। वहीं सरपंच पुत्र का कहना है कि हमारे द्वारा निर्माण कार्य कराया गया है, लेकिन आंधी तूफान के कारण सब निर्माण ढह गए।
बैगा आदिवासी ६ साल से लगा रहे गुहार: विस्थापित ग्राम और राष्ट्रपति के दत्तकपुत्र बैगा आदिवासियों के द्वारा अपनी मूलभूत सुविधा देने लगातार 6 सालों से गुहार लगाया जा रहा है, मगर उनकी आवाज को हमेशा अनसुना कर दिया जाता है। उनका आरोप है नेता और जनप्रतिनिधि केवल चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं। उसके बाद वे उन्हें भूल जाते हैं।
विधायक गिना रहे उपलब्धियां: बैगा आदिवासियों के साथ किये छलावे के बारे में जब क्षेत्र के विधायक को अवगत कराया गया तो उनका तो कुछ और ही बयान सामने आया। विधायक तोखन साहू ने भी विस्थापित ग्राम का दौरा किया गया है, लेकिन वे सिर्फ अपनी उपलब्धियों के बारे में बताते नजर आते हैं।
लगा रहे आरोप : वहीं सागर सिंह बैस कांग्रेस नेता ने कहा कि पूरे क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले बैगा आदिवासियों को मूलभूत सुविधाएंं नहीं मिल पा रही हैं। वहीं पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां के नेताओ और अधिकारियों की मिलीभगत से इस पूरे भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।