आइपीओ निवेश से पहले ये करें चेक
कंपनी की रेटिंग
प्राइसिंग का फॉर्मूला
रेड हेयरिंग प्रोस्पैक्ट
ग्रीन शू ऑप्शन
रेटिंग चेक करें
एक अच्छा आईपीओ चुनने के लिए रेटिंग एजेंसियों की रेटिंग देखें। रेटिंग एजेंसियां कंपनी के फंडामेंटल देखकर रेटिंग देती हैं। साथ ही कंपनी के अच्छे बिजनेस के साथ साथ आईपीओ की कीमत भी देखें। ब्रोकर्स की रिपोर्ट को भी देखना चाहिए। बाजार में प्रोमोटर्स की साख भी देखें और प्रोमोटर्स के अलावा दूसरे निवेशकों के बारे में भी जानकारी जुटाएं।
कैसे तय होती है प्राइसिंग
आईपीओ प्राइसिंग का कोई तय फॉर्मूला नहीं होता है। आईपीओ की प्राइसिंग में फैस वैल्यू और प्रीमियम अहम पहलू होती है। इन दिनों फैस वैल्यू पर आईपीओ बेहद कम आते हैं। आजकल आईपीओ प्रीमियम पर ही मिलते हैं। जिसे प्राइस प्रोमोटर्स और मर्चेंट बैंकर तय करते हैं। आईपीओ में शेयर अलॉटमेंट के लिए आईपीओ के पहले ज्यादातर शेयर प्रोमोटर्स के पास होते हैं। जो कि बाद में आईपीओ के पास जुड़ जाता है। एसईबीआई ने आईपीओ के बाद इसके के नियम बनाए जिसके तहत लिस्ट होने के बाद कंपनी में कम से कम 25 फीसदी नॉन प्रोमोटर्स जरूरी होते है। प्रोमोटर्स की हिस्सेदारी अधिकतम 75 फीसदी होती है।
14,100 करोड़ के आईपीओ
कंपनी | आईपीओ साइज | सेक्टर |
डिक्शन टेक्नोलॉजी | 600 करोड़ रुपए | इलेक्ट्रॉनिक्स |
भारत रोड | 600 करोड़ रुपए | रोड/कंस्ट्रक्शन |
कैपेसाइट इंफ्रा | 400 करोड़ रुपए | कंस्ट्रक्शन |
मैट्रीमोनी. कॉम | 600 करोड़ रुपए | इंटरनेट |
आईसीआईसीआई लोबांर्ड | 600 करोड़ रुपए | फाइनेंशियल |
एसबीआई लाइफ | 700 करोड़ रुपए | फाइनेंशियल |