पुरानी व्यवस्था खत्म करने की मांग अदालत निपुण मल्होत्रा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र सरकार, इरडा और बीमा कंपनियों से जन्मजात विसंगतियों को स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी सुरक्षा से बाहर रखने की व्यवस्था को खत्म करने की मांग की गई है। याचिका में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को अस्वीकार करने की इरडा की ओर से अपनाई इस व्यवस्था को मनमाना और अवैध बताते हुए इसे चुनौती दी है। याचिका में उन लोगों को बीमा कवर देने की मांग की गई है, जिन्हें बीमा नियामक के 2016 के परिपत्र के तहत पैदायशी विसंगति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
जन्मजात दोषों में क्या है शामिल बीमा कंपनियों की ओर से वर्णित जन्मजात दोष (कॉन्गेनिटल एनोमलिज) के दायरे में जन्म से ही विकलांगता, हृदय रोग, डाउन सिंड्रोम समेत कई तरह की पैदाइशी बीमारियों को शामिल किया गया है। आइआरडीएआइ ने इस बीमारी को उस श्रेणी में रखा है, जिस पर इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं दी जाती है।