scriptजन्मजात दिव्यांगों का बीमा नहीं करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने उठाए सवाल | Delhi High Court raises questions on congenital disease for insurance | Patrika News

जन्मजात दिव्यांगों का बीमा नहीं करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने उठाए सवाल

locationनई दिल्लीPublished: Oct 20, 2018 07:31:39 pm

Submitted by:

Manoj Kumar

कोर्ट ने सभी पक्षों को 17 दिसंबर से पहले जवाब देने को कहा है।

Delhi High Court

जन्मजात दिव्यांगों का बीमा नहीं करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जन्मजात दिव्यांगों को बीमा पॉलिसी नहीं देने पर सवाल उठाया है। इस संबंध में कोर्ट की ओर से भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आरडीएआइ) से नोटिस जारी कर अपना जवाब देने को कहा है। चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने इरडा से पूछा कि जन्म के समय से विसंगतियों या विकारों से पीड़ित लोगों को बीमा कवर नहीं देना किस तरह तर्क संगत है? जन्मजात विसंगति से पीड़ित लोगों को बीमा कवर देने में क्या दिक्कत है? पीठ ने इरडा से 17 दिसंबर की अगली तारीख से पहले अपना जवाब देने को कहा है। पीठ ने जनरल इंश्योरेंस काउंसिल और जीवन बीमा परिषद को भी नोटिस जारी किया और अगली तारीख से पहले इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।
पुरानी व्यवस्था खत्म करने की मांग

अदालत निपुण मल्होत्रा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र सरकार, इरडा और बीमा कंपनियों से जन्मजात विसंगतियों को स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी सुरक्षा से बाहर रखने की व्यवस्था को खत्म करने की मांग की गई है। याचिका में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को अस्वीकार करने की इरडा की ओर से अपनाई इस व्यवस्था को मनमाना और अवैध बताते हुए इसे चुनौती दी है। याचिका में उन लोगों को बीमा कवर देने की मांग की गई है, जिन्हें बीमा नियामक के 2016 के परिपत्र के तहत पैदायशी विसंगति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
जन्मजात दोषों में क्या है शामिल

बीमा कंपनियों की ओर से वर्णित जन्मजात दोष (कॉन्गेनिटल एनोमलिज) के दायरे में जन्म से ही विकलांगता, हृदय रोग, डाउन सिंड्रोम समेत कई तरह की पैदाइशी बीमारियों को शामिल किया गया है। आइआरडीएआइ ने इस बीमारी को उस श्रेणी में रखा है, जिस पर इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं दी जाती है।
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