माैजूदा समय में इन आंतरिक बेंचमार्क का इस्तेमाल होता है
अारबीआर्इ के इस फैसले के बाद बैंक अपने हिसाब से केवल मामूली बदलाव ही कर सकते हैं। लेकिन यदि किसी ने लोन ले लिया है तो बैंक बाद में कोर्इ बदलाव नहीं कर सकता है। हालांकि, लोन लेने वाले व्यक्ति के क्रेडिट एसेसमेंट में कोर्इ महत्वपूर्ण बदलाव आता है आैर वाे लोन कंट्रैक्ट में कोर्इ बदलाव के लिए सहमत होता है तो बैंक ब्याज दर में बदलाव कर सकता है। जनक राज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी ने फ्लोटिंग लोन रेट में बाहरी बेंचमार्क इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। मौजूदा समय में में प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर), बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर), बेस रेट आैर मार्जिनल काॅस्ट आॅफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) का प्रयोग किया जाता है।
पारदर्शिता बढ़ाने को लेकर बैंकों पर लगी ये पाबंदी
साथ ही पारदर्शिता व लोन उत्पाद के स्टैंडर्ड को बनाए रखने के लिए लोन कैटेगरी के अंतर्गत एक समान बाहरी बेंचमार्क को अपनाना होगा। दूसरी तरह इसे समझें तो एक बैंक एक ही लोन कैटेगरी में कर्इ बेंचमार्क का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। लोन प्राइसिंग के लिए यह गाइडलाइन पर्सनल या रिटेल (होम व आॅटो लोन) लोन फ्लोटिंग रेट के लिए उपयुक्त है। माइक्रो व स्माल उद्याेगों के लिए फ्लोटिंग लोन रेट 1 अप्रैल 2019 से लागू है। केंद्रीय बैंक इसी माह में आरबीआर्इ नए लोन प्राइसिंग के लिए पूरी गाइडलाइन जारी करेगी।