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ILFS संकटः NBFC अौर म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए खड़ी हुर्इ मुसीबतें

IL&FS संकट से अब म्यूचुअल फंड से लेकर देश गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों पर भी गहरा संकट मंडरा रहा है। करीब 1500 एनबीएफसी के लाइसेंस रद्द होने का डर है। वहीं म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए चिंता बढ़ गर्इ है।

नई दिल्लीOct 03, 2018 / 03:20 pm

Ashutosh Verma

infra lease and finance

ILFS संकटः NBFC अौर म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए खड़ी हुर्इ मुसीबतें

नर्इ दिल्ली। IL&FS संकट ने पहले ही वित्तीय बाजार में कोहराम मचा रखा है लेकिन अब इसका असर म्यूचुअल फंड के रिडम्पशन के दबाव के रूप में देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही करीब 1500 गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) पर भी गाज गिर सकती है। पर्याप्त पूंजी के आभाव में इन एनबीएफसी के लाइसेंस रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए काॅर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने नेशनल कंपनी लाॅ ट्रिब्यूनल (NCLT) से कंपनी के प्रबंधन में बदलाव करने का अनुरोध किया है। एनसीएलटी ने भी सोमवार को सरकार के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।


म्यूचुअल फंड धारकों पर आ सकती है मुसीबत
आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा 30 सितंबर को जारी एक गोपनीय नोट से पता चलता है कि मंत्रालय ने एनसीएलटी को भेजे गए अनुरोध पत्र में कंपनी के बर्बाद होने आैर भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके असर के बारे में चिंता जाहिर की है। इस नोट के अनुसार, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों पर IL&FS बाॅन्ड की वजह से करीब 2800 करोड़ रुपए के रिडम्प्शन का संकट आ सकता है। इन काॅर्पोरेट क्लाइंट्स ने 16 खरब रुपए के डेब्ट म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में निवेश किया है। IL&FS संकट से सबसे बड़ी चिंता इस बात की भी है कि करीब 1500 गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के पास पर्याप्त पूंजी न होने से उनका लाइसेंस रद्द हो सकता हैं। बताते चलें की IL&FS समूह की कुछ कंपनियाें द्वारा कर्ज डिफाॅल्ट के बाद वित्तीय बाजार में तरलता की संकट पैदा हो गर्इ है। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक समेत कर्इ अथाॅरिटी ने बाजार में उपयुक्त तरलता बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है।


बीते एक दशक में सरकार ने किसी कंपनी के प्रबंधन में किया हस्तक्षेप
बीते एक दशक में ये केवल दूसरा एेसा मौका है जब सरकार ने किसी कंपनी के प्रबंधन में बदलाव को लेकर हस्तक्षेप किया है। साल 2009 में भी एक एेसा ही मामला देखने को मिला था जब साॅफ्टवेयर निर्यातक कंपनी सत्यम कम्प्यूटर सर्विसेज का घोटाला सामने आया था। ध्यान देने वाली बात ये है की सीधे तौर पर सरकार की इस कंपनी में कोर्इ भागीदारी नहीं है लेकिन एलआर्इसी इस कंपनी में सबसे बड़ी शेयरधारक है। देश की सबसे बड़ा सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआर्इ) भी इस कंपनी में शेयरधारक है।


बुधवार को कारोबार के दौरान कंपनी के शेयरों में जोरदार तेजी
सोमवार को एनसीएलटी ने कंपनी के प्रबंधन में बदलाव करने को लेकर सरकार के अनुरोध काे मान लिया है। सोमवार को ही सरकार ने कहा था कि फिलहाल कंपनी के पास कर्इ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स हैं जिसमें डेब्ट व इक्विटी फाइनेंसिंग भी शामिल हैं। एेसे में इन प्रोजेक्ट्स के लिए कंपनी द्वारा वित्तीय सपोर्ट में कमी आने से इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर, बाजार व अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर देखने को मिलेगा। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि हम कंपनी के लिए जरूरी तरलता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसी बीच हल्की राहत की बात ये है कि बुधवार को कारोबार के दाैरान IL&FS समूह की कर्इ कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली। IL&FS ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क लिमिटेड, IL&FS इंजिनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन को. लिमिटेउ आैर IL&FS इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स लिमिटेड के शेयराें 10 से 20 फीसदी की तेजी दर्ज की गर्इ।

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