बिना बीमा वाले वाहनों से दुर्घटना से देनदारी को लेकर होती है समस्या
यह नतीजे इसलिए भी खास हैं क्योंकि यह सर्वे उस विशाल उपभोक्ता समूह पर आधारित अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है जिनके घरों में दोपहिया वाहन है। आंकड़ों का विश्लेषण स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि भारत में जहां हर दिन दुर्घटना होना आम बात है, वहां डिजिटल चैनल ने सड़कों को भयमुक्त और अधिक सुरक्षित बनाना शुरू कर दिया है। बिना बीमा वाले दोपहिया वाहनों को सड़कों पर चलाने से सबसे बड़ा खतरा दुर्घटना के चलते होने वाली देनदारी के रूप में सामने आता है। इसका बोझ दुर्घटना में शामिल लोगों और उनके परिवारों पर पड़ता है, और ज्यादातर मामलों में पीड़ित परिवारों के एक मात्र कमाने वाली सदस्य की मृत्यु और विकलांगता जैसे परिणाम सामने आते हैं।
कम राशि की वजह से लोग अक्सर नहीं कराते हैं टू-व्हीलर इंश्योरेंस
सर्वे के नतीजों के महत्व पर टिप्पणी करते हुए, पॉलिसीबाजार.कॉम ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के सह संस्थापक और सीईओ यशीष दहिया कहते हैं, “ये बहुत ही अच्छे निष्कर्ष हैं क्योंकि इसका बड़ा प्रभाव उस जनसंख्या वर्ग पर पड़ता है जहां दोपहिया वाहन परिवहन का प्राथमिक साधन है। टू-व्हीलर इंश्योरेंस लंबे समय तक बीमा कंपनियों के लिए एक पहेली बनकर रहा है क्योंकि इनकी मामूली राशि के कारण वितरकों ने इनमें कभी भी रुचि नहीं दिखाई। यह डिजिटल चैनल के लिए खास तौर पर तैयार किया गया प्रोडक्ट है और इसकी कम कीमत ही इसकी खासियत है।”
“बढ़ती जागरुकता और प्रचार-प्रसार के चलते हमें उम्मीद है कि यह कैटेगरी आने वाले समय में सिर्फ डिजिटल-एक्सक्लुसिव यानि डिजिटल प्लेटफॉर्म तक ही सीमित रह जाएगी। चूंकि इसमें इसमें मुनाफा बहुत कम होता है, इसलिए बीमाकर्ताओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदाताओं के लिए इस श्रेणी को स्थाई बनाने में मीडिया की एक बड़ी सामाजिक ज़िम्मेदारी है।” अध्ययन का एक और विश्लेषण, अन्य दिलचस्प बातें सामने रखता है। जैसे कि एक-तिहाई भारतीयों, जिनकी दोपहिया पॉलिसी लैप्स हो चुकी थी, उन्होंने पिछली पॉलिसी की समाप्ति के 90 दिनों के भीतर एक नया कवर खरीदा। जबकि, दो तिहाई भारतीयों ने अपनी पिछली पॉलिसी की समाप्ति के 90 दिनों के बाद अपने दोपहिया के इंश्योरेंस को पुनर्जीवित किया।
इसके अलावा, सर्वेक्षण में शामिल 86% लोगों ने 2018 में आम कॉम्प्रिहेंसिव कवर को चुना, जबकि 2017 में 75% उपभोक्ताओं ने यह कवर लिया था। यह एक बार फिर से भारतीय सड़कों के लिए एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि भारत में सड़क पर दोपहिया वाहन चलाने के लिए थर्ड पार्टी कवर होना न्यूनतम कानूनी अनिवार्यता की गई है। सर्वोच्च न्यायालय आदेश के अनुरूप IRDAI द्वारा सितंबर 2018 में लाए गए नए नियमों के बाद, अब नई बाइक के लिए कम से कम 5 साल के लिए थर्ड पार्टी कवर खरीदना अनिवार्य हो गया है। इसके बाद लोगों को यह लगा होगा कि इससे डिजिटल प्लेटफॉर्म की तरफ ग्राहकों का रुझान कम हो सकता हैं, क्योंकि इसका सीधा मतलब है कि टू-व्हीलर ग्राहकों के लिए बीमा प्रीमियम में भारी वृद्धि हुई है। लेकिन इसके विपरीत, इस प्रोडक्ट की पारदर्शिता और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की सहजता ने सितंबर 2018 के बाद पहले से अधिक ग्राहकों को आकर्षित किया है। इसका परिणाम यह हुआ कि सिर्फ नए दोपहिया वाहनों के लिए बेची जाने वाली इंश्योरेंस पॉलिसियों की संख्या में 30% का इजाफा हुआ है।
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