बढ़ती रिस्क कैपेसिटी और जागरूकता के चलते म्युचुअल फंड्स और इक्विटीज में निवेश का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इन्वेस्टमेंट के इस अच्छे विकल्प से बेहतर और निरंतर रिटर्न हासिल करने के लिए जरूरी है कि आपके पोर्टफोलियो में संतुलन हो…
बढ़ती रिस्क कैपेसिटी और जागरूकता के चलते म्युचुअल फंड्स और इक्विटीज में निवेश का चलन तेजी से बढ़ रहा है। अब लोग सोने और प्रॉपर्टी जैसे पारंपरिक निवेश विकल्पों पर म्युचुअल फंड्स को तरजीह दे रहे हैं। इन्वेस्टमेंट के इस अच्छे विकल्प से बेहतर और निरंतर रिटर्न हासिल करने के लिए जरूरी है कि आपके पोर्टफोलियो में संतुलन हो। फंड्स के सही संयोजन से ही आप अपने आर्थिक लक्ष्य हासिल कर पाएंगे। इसके चलते पिछले एक दशक में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस यानी पीएमएस का महत्व काफी बढ़ गया है।
…इसलिए अहम है पीएमएस
पीएमएस का सीधा-सा अर्थ है निवेशक की क्षमता और जरूरत के बीच सही संतुलन बनाने वाले फंड्स, कैप और सेक्टर का कॉम्बिनेशन तैयार करना। चूंकि हर व्यक्ति के लिए मार्केट की पूरी जानकारी रखना संभव नहीं हो पाता है, ऐसे में विशेषज्ञ उनसे विचार-विमर्श के आधार पर पोर्टफोलियो तैयार करते हैं। इसमें विभिन्न फंड्स की परफॉर्मेंस ट्रैक करना बेहद जरूरी होता है। यही पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कहलाता है। अपनी कई खूबियों के चलते पीएमएस निरंतर हाई नेटवर्थ वालों और बड़े रिटेल निवेशकों में भी तेजी से पहचान बना रही है। दूसरे शब्दों में यह तेज और नियमित रिटर्न हासिल करने का अच्छा जरिया कहा जा सकता है।
मिल सकता है अच्छा रिटर्न
मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ रही है। ऐसे में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट से बेहतर रिटर्न मिल सकते हैं। टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियों में इन्वेस्टमेंट पर अच्छा रिटर्न मिल सकता है। स्थिरता के चलते बॉन्ड में निवेश करना भी फायदेमंद साबित होगा, इनमें आने वाले समय में अच्छी ग्रोथ की संभावना है।
– के जोसेफ थॉमस, डायरेक्टर, इंडिया निवेश सिक्युरिटीज