दरअसल, 20 आरोपियों के खिलाफ 8 सितंबर 2013 को फुगाना थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। इन सभी पर पड़ोसी अब्दुल हसन के घर घुसकर गला काटने के बाद हसन की गोली मारकर हत्या करनेे का आरोप था। मृतक के भाई की तहरीर पर ये केस दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने आरोपियों पर 6 लाख रुपये के सोने के जेवर लूटने का भी आरोप लगाया था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कमलापति की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में दुष्यंत, कपिल, अजय, विकास रविंदर, अमित, राहुल, राजीव, जयपाल, सचिन, अनुज, सुधीर, बारू, मोहित और कुलदीप समेत पांच अन्य आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया। बताया जा रहा है कि सभी आरोपी लांक गांव के रहने वाले हैं।
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प्रियंका गांधी के आगरा जाने पर योगी के मंत्री का तंज, बोले- कांग्रेस शासित राज्यों में अपराध पर गूंगी-बहरी हो जाती हैं बता दें कि मुजफ्फरनगर दंगों के मामलों में अदालत अब तक 99 केस में फैसला सुना चुकी है। जिनमें सबूतों के अभाव में 1,198 आरोपियों को बरी किया जा चुका है। जबकि 27 अगस्त 2013 को दो लोगों सचिन और गौरव की हत्या के मामले में सात आरोपियों को फरवरी 2019 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। ऐसा माना जाता है कि इसी घटना के बाद मुजफ्फरनगर में दंगे हुए थे और 60 लोग मारे गए थे। जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए थे।