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लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों की अस्थियां शुकतीर्थ में गंगा घाट पर विसर्जित

locationमुजफ्फरनगरPublished: Oct 20, 2021 04:11:39 pm

Submitted by:

lokesh verma

लखीमपुर खीरी में मारे गए चारों किसानों व पत्रकार रमन कश्यप की अस्थि विसर्जन यात्रा बुधवार को मुजफ्फरनगर पहुंची। जहां चौधरी नरेश टिकैत समेत किसानों की भारी भीड़ उमड़ी। अस्थि कलश यात्रा शुकतीर्थ में गंगा घाट पर पहुंची। जहां किसानों ने मृतक किसानों व पत्रकार को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी अस्थियां विधि विधान के साथ गंगा में विसर्जित कीं।

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मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों व पत्रकार की अस्थि कलश यात्रा बुधवार को मुजफ्फरनगर की तीर्थ नगरी के नाम से विख्यात शुकतीर्थ पहुंची। इस यात्रा में भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत व धीरज लाटियान, सैकड़ों भाकियू पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं समेत किसानों की भारी भीड़ मौजूद रही। मृतक किसानों व पत्रकार रमन कश्यप के अस्थि कलश को विधिवत पूजा अर्चना के साथ गंगा में विसर्जित किया गया।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों लखीमपुर खीरी में तीन कृषि बिल कानून का विरोध कर रहे किसानों के ऊपर केंद्रीय मंत्री के बेटे और समर्थकों ने गाड़ी चढ़ाकर कुचल दिया था। उस घटना में चार किसानों और एक पत्रकार समेत कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद किसानों में भारी रोष देखने को मिला। घटना में मारे गए किसानों व पत्रकार रमन कश्यप को शहीद का दर्जा देते हुए उनके अंतिम संस्कार से लेकर अस्थि विसर्जन तक किसानों की भारी भीड़ मौजूद रही। लखीमपुर में मारे गए चारों किसानों व पत्रकार रमन कश्यप की अस्थि विसर्जन यात्रा बुधवार को मुजफ्फरनगर पहुंची। जहां चौधरी नरेश टिकैत समेत किसानों की भारी भीड़ उमड़ी। अस्थि कलश यात्रा शुकतीर्थ में गंगा घाट पर पहुंची। जहां किसानों ने मृतक किसानों व पत्रकार को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी अस्थियां विधि विधान के साथ गंगा में विसर्जित कीं।
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किसानों की शहादत हमेशा रहेगी याद

इस दौरान चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि लखीमपुर में हमारे किसानों ने शहादत दी है। किसानों का यह बलिदान हमेशा इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा। हम चाहते थे कि कृषि कानून के विरोध में सरकार हमसे बात करे, उस समय किसान दो कदम पीछे हटने को तैयार था, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। बातचीत के जरिए इस मसले को सुलझाया जा सकता है, लेकिन सरकार इस मामले को सुलझाना नहीं चाहती। सरकार की दमनकारी नीति से परेशान होकर किसान पिछले कई महीनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं।
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