वहीं जेल से रिहा होने के बाद भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष उपकार बावरा ने दलितों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर फिर से आंदोलन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह अपनी रिहाई से खुश नहीं है, बल्कि हिंसा के आरोपों के चलते जेल में बंद अपने अन्य साथियों की रिहाई के लिए वह हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे। उपकार बावरा ने कहा कि दलितों के हित में फिर से आवश्यकता पड़ी तो आंदोलन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अभी यह लड़ाई की शुरुआत है और अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
दरअसल
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन किए जाने के विरोध में एक साल पहले दो अप्रैल को विभिन्न संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया था। इस आंदोलन में जमकर उपद्रव हुआ और हिंसा भड़की थी। भोपा के गांव गादला निवासी अमरेश की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। उपद्रव में जमकर आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी। उपद्रव और हिंसा के संबंध में शहर के तीनों थानों पर 43 मुकदमे दर्ज कराए गए थे। नई मंडी इंस्पेक्टर हरसरण शर्मा की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष उपकार बावरा को नामजद कराया गया था। आरपीएफ ने भी उपकार बावरा को नामजद कराया गया था। बाद में उपकार बावरा पर रासुका (
rasuka ) की कार्रवाई की गई थी।
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