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VIP सीटों पर हार के बाद अब इस लोकसभा सीट को जीतने पर है BJP का जोर, सता रहा यह डर

locationमुजफ्फरनगरPublished: Mar 17, 2018 09:37:37 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

फूलपुर और गोरखपुर की वीवीआईपी लोकसभा सीटों के उपचुनाव के बाद अब भाजपा को यूपी की अन्य दो और सीटों पर जीत की चिंता सताने लगी है।

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शामली। लोकसभा उपचुनाव 2018 में फूलपुर और गोरखपुर सीट पर भाजपा को मिली करारी हार के बाद अब सियासी दिग्गजों और सूबे की जनता की नजर कैराना लोकसभा सीट पर टिकी हैं। दोनों सीटों पर हार के बाद अब बीजेपी के बड़े राजनीतिक कैराना लोकसभा सीट पर किस तरह बीजेपी को जीत मिले इस गठजोड़ को बनाने में जुट गए हैं। प्रदेश में भाजपा के साथ-साथ विपक्षी दलों के लिए यह सीट इसलिए भी खास बनी है क्योंकि कैराना पलायन प्रकरण को ही भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनाया था, जिसके सहारे भाजपा को यूपी में एकतरफा बड़ी जीत मिली थी।
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कैराना से सांसद रहे हुकुम सिंह ने वर्ष 2017 में कैराना पलायन प्रकरण का मुद्दा देशभर में उठाया था यह मुद्दा देश नहीं बल्कि विदेशी मीडिया ने भी बढ़-चढ़कर के दिखाया गया था। जिसकी गूंज पूरे देश विदेश में हुई थी। इस मुद्दे का असर जब दिखाई दिया तब विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए कैराना में रह रहे हिंदू समुदाय के लोगों की सुरक्षा की मांग की थी और इसी के चलते सूबे की जनता ने प्रचंड बहुमत से भाजपा को विजय दिलाई थी। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकसभा सीट गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लोकसभा सीट फूलपुर के चुनावी नतीजों ने सभी को चौंका दिया है।
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चुनावी नतीजों ने यह भी साफ कर दिया कि कहीं ना कहीं सरकार की कुछ कमी रही है। जिसके कारण बीजेपी को इन दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। इन दोनों सीटों पर हार को लेकर के बीजेपी हाईकमान भी क्या कमियां रही है इन बातों को लेकर मंथन कर रहे हैं।
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जबकि हिंदू संगठनों ने कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज में अफसरशाही हावी होने की बात कहते हुए कटाक्ष भी किया है। सूत्रों की माने तो आगामी 20 दिनों के भीतर ही इसकी घोषणा होने की संभावना है। 2 सीटों पर गठबंधन की जीत से सपा-बसपा के साथ ही रालोद में भी उत्साह है। कैराना उपचुनाव को लेकर भी गठबंधन का पूरा फोकस है। इससे भाजपा को हार का डर सताने लगा है। इनकी चिंता पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक अन्य सीट बिजनौर जिले की नूरपुर को जीतने की चिंता भी अब भाजपाइयों को लगातार सता रही है।
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कैराना पर भाजपा गंभीर
वही 2018 लोकसभा उप चुनाव हारने के बाद कमियों को दूर करने के साथ ही 2019 के लिए मशक्कत तेज हो चुकी है। सूत्रों की माने तो कैराना उपचुनाव के लिए पार्टी संगठन विधायक सांसदों व मंत्रियों को जन समस्याओं को मन से हल करने की डोज दी जा रही है। ऐसे में प्रत्येक कदम फूंक-फूंक कर रखा जाएगा। वहीं संगठन में यदि किसी पदाधिकारी की शिकायत मिलती है तो जांच के बाद बदलने की कार्रवाई भी हो सकती है।
सूत्रों का दावा है कि कैराना में जल्द ही प्रदेश के बड़े नेताओं की आमद शुरू होने जा रही है। इन में महापुरुषों की जयंती पर पहुंचने की संभावना प्रबल है। कैराना में महर्षि कश्यप जयंती पर बड़े नेता का कार्यक्रम जल्दी तय होगा। जबकि आज 17 मार्च को दलित चेतना सम्मेलन थानाभवन में भी केंद्रीय निदेशक NHPC ऊर्जा विभाग भगवत प्रसाद मकवाना ने भाग लिया।
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