आरोप है कि किसानों की शिकायत है कि तहसीलदार के पेशकार सहित कई लेखपाल फर्जी ऋण का नोटिस भेजते हैं और उसके बाद मोटी रकम लेकर मामले को रफा-दफा करते हैं। इसी सूचना पर विधायक ने तहसील में पहुंचकर सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को आड़े हाथ लिया। विधायक उमेश मलिक का कहना है कि तहसील में तहसीलदार के पेशकार अरविंद सहित कई लोग पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्हें लगातार क्षेत्र से शिकायत मिलती रही है कि तहसील में भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसी को लेकर वह तहसील में आए और आचार संहिता समाप्त होने के बाद तहसील में भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों को नहीं रहने दिया जाएगा।
वहीं पीड़ित किसान वीर सिंह ने भी तहसील कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले कई वर्षों से एक चकरोड के मामले को लेकर तहसील और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। कई बार तहसील दिवस में शिकायत करने के बावजूद भी समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा और अब तहसील के कर्मचारी उनसे काम के बदले रिश्वत की मांग कर रहे हैं। जिस वजह से उन्हें मजबूरी में विधायक जी को शिकायत करनी पड़ी।
बता दें कि भाजपा विधायक उमेश मलिक का यह पहला मामला नहीं है जब उन्होंने किसी सरकारी दफ्तर में घुसकर हंगामा किया हो। इससे पहले भी विधायक मलिक बीएसए कार्यालय में एक लेखाधिकारी को जमकर लताड़ लगा चुके हैं। जिसके बाद कुछ अधिकारियों को मुजफ्फरनगर से जाना पड़ा भी था।