दरअसल मामला 17 फरवरी 2009 का है। जिस समय संगीत सोम समाजवादी पार्टी के नेता होते थे। उसी समय उन्होंने मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में एक जनसभा आयोजित की थी। उसी दौरान भारी भीड़ में उन्हें महाठाकुर की उपाधि दी गयी। यही उसी दौरान शहर कई घंटों तक जाम रहा था। यही नहीं जिले में धारा 144 भी लागू थी। जिसका उन्होंने उल्लंघन किया था। इस मामले में उनके साथ कई और लोग भी आरोपी बनाए गए थे। उसके बाद 2009 में उन्होंने समाजवादी पार्टी से लोकसभा क्षेत्र मुजफ्फरनगर से प्रत्याशी बनाया गया था। इस चुनाव में उन्हें करारी हार भी मिली थी। हालांकि उसके कुछ दिन बाद संगीत सोम ने सपा छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था।
गैर जमानती वारंट जारी कर दिए गए थे
बता दें कि 17 फरवरी 2009 थाना सिविल लाइन में उनके खिलाफ धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा के उल्लंघन करने मामला दर्ज हुआ था। इसी मुकदमे में न्यायालय एसीजेएम-द्वितीय के समक्ष वो पेश नहीं हुए थे। 31 जुलाई 2017 को न्यायालय ने विधायक संगीत सोम की हाजिरी माफी की अर्जी को खारिज कर उपस्थित नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी कर दिए थे। अब इस मामले में छह नवंबर को सुनवाई तय है। सुनवाई से पहले ही विधायक संगीत सोम ने गैर जमानती वारंट रिकाॅल कराने के लिए अदालत में हाजिरी दी। वो भारी सुरक्षा के बीच अपने अधिवक्ता ठाकुर कुंवरपाल सिंह के साथ अदालत में पेश हुए। अब सोमवार को अदालत में केस की सुनवाई होगी। सपा नेता के रूप में सड़क जाम करने और निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर उनकी पेशी को लेकर कचहरी में छुट्टी के दिन भी हलचल रही।