ये बात जरूर है कि राकेश शर्मा ने बसपा सुप्रीमो पर गंभीर आरोप लगाएं है। अपने इस्तीफे में उन्होंने मायावती को लिखा कि विधानसभा चुनाव 2017 में पार्टी की शर्मनाक पराजय के बाद मुझे विश्वास था कि पार्टी में हार के कारणों की गहन समीक्षा होगी और कार्य प्रणाली में बदलाव लाया जाएगा। हर चुनाव में पार्टी द्वारा सोशल इंजीनियरिंग बदले जाने की वजह से समाज के विभिन्न वर्गों में अविश्वास की भावनाओं बढ़ी। यही वजह है कि चुनाव में गरीब, स्वर्ण, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग बसपा से पूरी तरह छिटक गया। दलित मतदाताओं के भी एक वर्ग में पार्टी के प्रति मोह भंग की स्थिति है। आपने अल्पसंख्यक समाज को चुनाव में भारी संख्या में टिकट तो दिए पर एक भी ऐसा नेता तैयार न कर पाए जिसकी अल्पसंख्यकों में पहचान और पकड़ हो। चुनाव परिणाम आने के बाद लखनऊ में हुई कई बैठक में भाग लिया। आपके विचार सुने, लेकिन यह सब एक पक्षीय था। आपने अपनी निजी धारणा के आधार पर भाषण दिया और आगे का कार्यक्रम तय कर रही हैं। जरूरी तो यह था कि आप कार्यकर्ताओं की सुनतीं, उनसे सुझाव लेतीं और उनके बाद संगठन की दिशा तय करतीं। इससे पता चलता है कि आपको लोकतांत्रिक कार्यपद्धती पसंद नहीं है। आप तानाशाही तरीके से पार्टी को निजी कंपनी के रूप में संचालित करने में भरोसा रखते हैं। ऐसे में मुझे और मुझ जैसे विधानसभा चुनाव लड़ चुके तमाम लोगों को प्रतीत होता है कि पार्टी इतिहास के पन्नों की ओर अग्रसर हो रही है। पार्टी में स्वर्ण पिछड़े और अल्पसंख्यक दूर हो चुके हैं और आप उन्हें छोड़ने के प्रति गंभीर भी नहीं है। अतः पार्टी में बने रहने का कोई औचित्य मेरी समझ से परे है। आपने मुझे विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया उसके लिए आभारी हूं। पार्टी के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं के सहयोग के लिए आभारी हूं। मेरे इस पत्र को पार्टी से त्याग पत्र मानकर स्वीकार करने का कष्ट करें