scriptबसपा के इस नेता ने भी छोड़ा मायावती का साथ, लगाए गंभीर आरोप | BSP leader of Muzaffarnagar resign from party | Patrika News

बसपा के इस नेता ने भी छोड़ा मायावती का साथ, लगाए गंभीर आरोप

locationमुजफ्फरनगरPublished: Sep 17, 2017 11:00:15 pm

Submitted by:

Iftekhar

 लोकसभा चुनाव 2014 और फिर विधानसभा चुनाव 2017 में करारी हार का स्वाद चखने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती के सिपाही एक के बाद एक उनका दामन छोड़ रहे हैं।

BSP leader

मुजफ्फरनगर. सूबे में पहले लोकसभा चुनाव 2014 और फिर विधानसभा चुनाव 2017 में करारी हार का स्वाद चखने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती के सिपाही एक के बाद एक उनका दामन छोड़ रहे हैं। जनपद मुज़फ्फरनगर में भी सदर सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके राकेश शर्मा ने बसपा को अलविदा कह दिया है। शर्मा बसपा छोड़ किस दल में जाएंगे ये बात अभी स्पस्ट नहीं हो सकी है। पत्रिका संवाददाता को उन्होंने बताया कि उनका बसपा को छोड़ने का मन नहीं था, लेकिन कुछ ऐसी वजहें रही हैं, जिससे उन्होंने बसपा छोड़नी पड़ी। दुसरी पार्टी में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने बताया कि वे अपने शुभचिंतक और समर्थकों से बात करके ही कोई फैसला लेंगे।

ये बात जरूर है कि राकेश शर्मा ने बसपा सुप्रीमो पर गंभीर आरोप लगाएं है। अपने इस्तीफे में उन्होंने मायावती को लिखा कि विधानसभा चुनाव 2017 में पार्टी की शर्मनाक पराजय के बाद मुझे विश्वास था कि पार्टी में हार के कारणों की गहन समीक्षा होगी और कार्य प्रणाली में बदलाव लाया जाएगा। हर चुनाव में पार्टी द्वारा सोशल इंजीनियरिंग बदले जाने की वजह से समाज के विभिन्न वर्गों में अविश्वास की भावनाओं बढ़ी। यही वजह है कि चुनाव में गरीब, स्वर्ण, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग बसपा से पूरी तरह छिटक गया। दलित मतदाताओं के भी एक वर्ग में पार्टी के प्रति मोह भंग की स्थिति है। आपने अल्पसंख्यक समाज को चुनाव में भारी संख्या में टिकट तो दिए पर एक भी ऐसा नेता तैयार न कर पाए जिसकी अल्पसंख्यकों में पहचान और पकड़ हो। चुनाव परिणाम आने के बाद लखनऊ में हुई कई बैठक में भाग लिया। आपके विचार सुने, लेकिन यह सब एक पक्षीय था। आपने अपनी निजी धारणा के आधार पर भाषण दिया और आगे का कार्यक्रम तय कर रही हैं। जरूरी तो यह था कि आप कार्यकर्ताओं की सुनतीं, उनसे सुझाव लेतीं और उनके बाद संगठन की दिशा तय करतीं। इससे पता चलता है कि आपको लोकतांत्रिक कार्यपद्धती पसंद नहीं है। आप तानाशाही तरीके से पार्टी को निजी कंपनी के रूप में संचालित करने में भरोसा रखते हैं। ऐसे में मुझे और मुझ जैसे विधानसभा चुनाव लड़ चुके तमाम लोगों को प्रतीत होता है कि पार्टी इतिहास के पन्नों की ओर अग्रसर हो रही है। पार्टी में स्वर्ण पिछड़े और अल्पसंख्यक दूर हो चुके हैं और आप उन्हें छोड़ने के प्रति गंभीर भी नहीं है। अतः पार्टी में बने रहने का कोई औचित्य मेरी समझ से परे है। आपने मुझे विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया उसके लिए आभारी हूं। पार्टी के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं के सहयोग के लिए आभारी हूं। मेरे इस पत्र को पार्टी से त्याग पत्र मानकर स्वीकार करने का कष्ट करें

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