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CAA: हिंसा मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही आई सामने, सरकारी मुलाजिम समेत 4 बेगुनाह को भेजा था जेल, अब हुई रिहाई

locationमुजफ्फरनगरPublished: Jan 03, 2020 11:15:15 am

Submitted by:

virendra sharma

Highlights
. Citizenship Amendment Act को लेकर देशभर में हुआ विरोध प्रदर्शन. उपद्रवियों आगजनी, तोड़फोड़ व पुलिस पर हुआ था पथराव. सरकारी और निजी संपत्ति का हुआ था नुकसान
 
 

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मुज़फ़्फ़रनगर। नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) को लेकर देशभर में हिंसक विरोध प्रदर्शन की घटनाएं सामने आई। उपद्रवियों आगजनी, तोड़फोड़ व पुलिस पर पथराव किया। प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर में हिंसा की वारदातें हुई। हिंसक प्रदर्शन के मामले में मुजफ्फरनगर पुलिस ने 200 से ज़्यादा लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में मामला दर्ज कर जेल भेजा था। हालांकि इस दौरान पुलिस ने जांच किए बगैर ही जेल भेज दिया। अब 4 बेगुनाह को 11 दिन बाद जेल से छोड़ा गया है। पुलिस ने उपद्रवियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए एक सरकारी नौकरी करने वाले एक शख्स को हवालात में डाल दिया।
20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद मुजफ्फरनगर सुलग उठा था। शहर में जमकर बवाल हुआ। नमाज के बाद हुए बलवियों ने फायरिंग, आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ के मामले में 44 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 200 से ज्यादा लोगों को जेल भेज दिया है। पुलिस ने बताया कि उपद्रवियों की वीडियो फुटेज व सीसीटीवी के आधार पर पहचान कर जेल भेजा गया है। आरोप है कि पुलिस ने चार बेगूनाहों को भी जेल भेज दिया। इनमें सरकारी मुलाजिम फारूख भी शामिल है। 56 साल के फ़ारूख़ सेवायोजन कार्यालय में बड़े बाबू हैं। 20 दिसंबर को दफ़्तर में थे।
फारूख के मुताबिक, पुलिस उनके घर पहुंची और तोड़फोड़ की। उसके बाद फ़ारूख़ और उनके बेटे को पीटते हुए ले गई और जेल में डाल दिया। सरकारी दफ़्तर में मौजूद होने के सबूत दिखाने के बाद पुलिस ने 11 दिन बाद उन्हें जेल से छोड़ गया। फारूख की माने तो पुलिसकर्मियों को आई—कार्ड दिखाया। उसके बाद भी पुलिस पीटा गया और फिल जेल में डाल दिया गया। हालांकि, अभी तक फ़ारूख़ का 21 वर्षीय बेटे को जेल से नहीं छोड़ा गया है। वहीं, 55 वर्षीय खालिद के मुताबिक, वे हिंसा वाले दिन 26 वर्षीय बेटे शोएब, 22 वर्षीय भतीजे अतीक के साथ किड़नी के मरीज 52 साल के चाचा हारून की डॉयलिसिस कराने के लिए मेरठ जा रहे थे। आरोप है कि पुलिस ने पहले उन्हें पीटा और बाद में जेल भेज दिया। ख़ालिद ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट दिखाने के बाद भी पुलिस ने उनकी एक भी नहीं सुनी। एसपी सतपाल अंतिल का कहना है कि जांच में जो भी निर्दोष पाए जा रहे हैं उन्हें रिहा किया जा रहा है।
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