20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद मुजफ्फरनगर सुलग उठा था। शहर में जमकर बवाल हुआ। नमाज के बाद हुए बलवियों ने फायरिंग, आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ के मामले में 44 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 200 से ज्यादा लोगों को जेल भेज दिया है। पुलिस ने बताया कि उपद्रवियों की वीडियो फुटेज व सीसीटीवी के आधार पर पहचान कर जेल भेजा गया है। आरोप है कि पुलिस ने चार बेगूनाहों को भी जेल भेज दिया। इनमें सरकारी मुलाजिम फारूख भी शामिल है। 56 साल के फ़ारूख़ सेवायोजन कार्यालय में बड़े बाबू हैं। 20 दिसंबर को दफ़्तर में थे।
फारूख के मुताबिक, पुलिस उनके घर पहुंची और तोड़फोड़ की। उसके बाद फ़ारूख़ और उनके बेटे को पीटते हुए ले गई और जेल में डाल दिया। सरकारी दफ़्तर में मौजूद होने के सबूत दिखाने के बाद पुलिस ने 11 दिन बाद उन्हें जेल से छोड़ गया। फारूख की माने तो पुलिसकर्मियों को आई—कार्ड दिखाया। उसके बाद भी पुलिस पीटा गया और फिल जेल में डाल दिया गया। हालांकि, अभी तक फ़ारूख़ का 21 वर्षीय बेटे को जेल से नहीं छोड़ा गया है। वहीं, 55 वर्षीय खालिद के मुताबिक, वे हिंसा वाले दिन 26 वर्षीय बेटे शोएब, 22 वर्षीय भतीजे अतीक के साथ किड़नी के मरीज 52 साल के चाचा हारून की डॉयलिसिस कराने के लिए मेरठ जा रहे थे। आरोप है कि पुलिस ने पहले उन्हें पीटा और बाद में जेल भेज दिया। ख़ालिद ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट दिखाने के बाद भी पुलिस ने उनकी एक भी नहीं सुनी। एसपी सतपाल अंतिल का कहना है कि जांच में जो भी निर्दोष पाए जा रहे हैं उन्हें रिहा किया जा रहा है।