गन्ना भुगतान की मांग काे लेकर किसानाें ने चढ़ाई आस्तीनें, अनिश्चितकालीन धरना शुरू
खाप पंचायतें लड़कियों के जींस पहनने और उनके मोबाइल पर प्रतिबंध लगाने को लेकर पहले ही चर्चाओं में रही हैं। पूर्व में खाप पंचायत इस तरह के फैसले सुना चुकी हैं कि लड़कियां जींस नहीं पहनेंगी और वह मोबाइल फोन भी नहीं रखेंगी। इसके बाद यह आवाज भी आधी आबादी की ओर से उठी थी कि प्रतिबंध केवल लड़कियों पर ही क्याें लगाए जाते हैं लड़कों पर भी प्रतिबंध लगने चाहिए। इसी क्रम में उन्होंने लड़कों के पहनावे पर टिप्पणी की है और लड़कों को हिदायत दी है कि वह हाफ पैंट पहनकर बाजारों में और सार्वजनिक स्थलों पर ना घूमें।पत्रकारों से वार्ता करते हुए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और बालियान खाप पंचायत के मुखिया बल्लभगढ़ की घटना को लेकर काफी दुखी दिखे। इस घटना को लेकर उनमें गुस्सा भी है उन्होंने कहा है कि घटना बेहद दुख पहुंचाने वाली है और सरकार को ऐसे अपराधियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए। साफ शब्दों में कहा कि ऐसे लोगों को फांसी की सजा होनी चाहिए जो बहू बेटियों के साथ अत्याचार करते हैं। लड़कों के तंग कपड़ों को लेकर दिए गए बयान पर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि हमने कोई फरमान नहीं सुनाया है लेकिन सलाह दी है और युवकों को बुजुर्गों की सलाह माननी चाहिए।
अगर आपके मन में भी यह सवाल कौंध रहा है कि खाप पंचायत क्या होती हैं तो इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें ब्रिटिश हुकूमत के समय जाना होगा। उस समय जब हिंदुस्तान के नौजवानों के दिल में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा भर रहा था उसी समय पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के गांवों में बुजुर्गों ने घर-घर जाकर पंचायतें की थी। इन पंचायतों के माध्यम से सर्वजातीय सर्वधर्म के लोगों को एकजुट किया गया था। 1857 में जब मेरठ के मंगल पांडेय ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आस्तीनें चढ़ाई तो मुजफ्फरनगर जिले के बुढ़ाना तहसील क्षेत्र के गांव सोरम में भी बुजुर्गों ने महापंचायत अंग्रेजों के खिलाफ खड़ी कर दी थी। तभी से खाप पंचायतों का इतिहास चला आ रहा है। खाप पंचायत का एक निर्णय वर्ष 2004 में सुर्खियों में आया था। उस दौरान खाप पंचायत ने सगोत्र विवाह पर पाबंदी लगाई थी और सगोत्र विवाह करने वाले एक प्रेमी जोड़े को कत्ल करने का फरमान सुना दिया था।