किसान आंदोलन: दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हजारों किसानों के समर्थन में देश की खाप पंचायतें भी उतरीं
Highlights
- गोला लाठी के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए खाप चौधरी
- भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत बोले- सरकार कर रही किसानों की अनदेखी
- कहा- मामले का हल बातचीत से निकलना चाहिए

मुजफ्फरनगर. पिछले माह से कृषि बिल के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर जमे हजारों किसानों के समर्थन में देश की खाप पंचायतें भी उतर आई हैं। बता दें कि पिछले दिनों ऐतिहासिक खाप चौपाल गांव शोरम में हुई खाप चौधरियों की बैठक में केंद्र सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए चिंता जाहिर की गई थी। बैठक में खाप चौधरियों ने किसानों के साथ खड़े होने का फैसला लिया था। उसी को लेकर गुरुवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत खाप चौधरी गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हुए।
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भारतीय किसान यूनियन की राजधानी कहे जाने वाले कस्बा सिसौली में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बालियान खाप के मुखिया चौधरी नरेश टिकैत के आवास पर एकत्रित हुए दर्जनों खापों के चौधरी गाड़ियों के काफिले के साथ सिसौली से दिल्ली बॉर्डर की तरफ रवाना हुए। खास बात यह रही कि खाप चौधरियों के साथ गाड़ियों के काफिले में एक गाड़ी पर गोला लाठी भी लगाई गई थीं। क्योंकि पिछले दिनों गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने सरकार को गोला लाठी देने की बात कही थी। इसी को लेकर भारतीय किसान यूनियन के काफिले में गाड़ी पर गोला लाठी लगाई गईं। वहीं खाप चौधरियों को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन द्वारा सख्त बंदोबस्त किए गए थे।
बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र के मुजफ्फरनगर-बड़ौत मार्ग पर एसडीएम बुढ़ाना कुमार भूपेंद्र, एसपी देहात नेपाल सिंह, सीओ गिरजा शंकर त्रिपाठी और बुढ़ाना कोतवाली प्रभारी एमएस गिल भारी पुलिस बल के साथ सुबह से ही जमे हुए थे। जैसे ही खाप चौधरियों का काफिला बॉर्डर के निकट पहुंचा तो उनके साथ भीड़ देखकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की रोकने के लिए हिम्मत जवाब दे गई। इसके बाद खाप चौधरियों का काफिला दिल्ली की ओर बढ़ गया।
भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि इस समय सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है। कृषि कानून बनाने से पहले सरकार ने न तो किसान और न ही किसी किसान संगठन से बातचीत की। कृषि कानून किसान के विरोध में है, अगर पक्ष में होता तो हम धरने प्रदर्शन को मजबूर न होते। उन्होंने कहा कि मामले का हल बातचीत से निकलना चाहिए और कुछ समझदार राजनेताओं को बीच में लाया जाना चाहिए। उन्होंने राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चौधरी अजीत सिंह जैसे नेताओं को बीच में लाए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि सरकार को पीछे हटे तो किसान भी पीछे हट जाएंगे।
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