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मुजफ्फरनगर

अयोध्या में विवादित ढ़ाचा गिरने के बाद हिंदुआें को छोड़ना पड़ा था यह गांव, तब से मुस्लिम कर रहे मंदिर की देखभाल

दिवाली पर चंदा एकत्र कर मंदिर में करते है यह काम

मुजफ्फरनगरSep 18, 2018 / 06:42 pm

Nitin Sharma

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अयोध्या में विवादित ढ़ाचा गिरने के बाद हिंदुआें को छोड़ना पड़ा था यह गांव, तब से मुस्लिम कर रहे मंदिर की देखभाल

मुजफ्फरनगर।यूपी के पश्चिम हिस्से में स्थित मुजफ्फरनगर जिले को ज्यादातर लोग अपराध की वजह से जाते है, लेकिन हम आप को बता दें कि इस जिले के बीच एक एेसा गांव भी है। जहां मुस्लिम पिछले कर्इ सालों से मंदिर की देखभाल करते है। इतना वह दिवाली के त्योहार पर इस मंदिर में रंग-रोगन भी कराते है। इसकी वजह इस गांव से 26 वर्ष पूर्व अयोध्या में विवादित ढ़ाचा गिराने के दौरान हिंदुआे द्वारा यह गांव छोड़कर चले जाना है।वहीं मुस्लिम गांव छोड़कर गए हिंदुआें के वापस आने की आस में आज भी मंदिर का पूरा ध्यान रखते है।

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उम्मीद है लौट आएंगे हिंदू दोस्त

दरअसल यह मुजफ्फरनगर जिले के लड्डेवाला गांव में हिंदू आैर मुस्लिम परिवार बहुत ही मेल झोल करके रहते थे। इस गांव के रहने वाले मेहरबान अली बताते है कि 26 वर्ष पहले अयोध्या में ढ़ाचा गिराने के बाद हिंदू परिवार यहां से चले गये। उनको काफी रोकने का प्रयास भी किया, लेकिन वह नहीं रुके। अली बताते है कि गांव छोड़कर जाने वाले हिंदुआे में मेरा सबसे जिगरी यार भी था जितेंद्र कुमार । अब भी उसकी याद आती है। मैंने उसे रोका भी था। उन्होंने बताया कि वह जल्द आने की बात कहकर गया था। एेसे में गांव में मौजूद उनके मंदिर पर कोर्इ कब्जा न कर लें। कोर्इ नुकसान न हो। इसके लिए मंदिर की पूरी देखरेख रखता हूं।गांव के अन्य मुस्लिम परिवार भी समय समय पर मंदिर में साफ-सफार्इ करते है। उम्मीद है की जल्द हिंदू परिवार आैर जितेंद्र गांव में वापस आएंगे।तो उन्हें अपना मंदिर साफ सुधरा मिलने पर खुशी होगी।

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दिवाली के त्योहार पर मंदिर में चंदा एकत्र कर कराते है रंग-रोगन

वहीं इसी गांव के निवासी जहीर अहमद बताते है कि गांव में सिर्फ 35 मुस्लिम परिवार है।बाकी यहां हिंदू परिवार थे।लेकिन अब वह चले गये।एेसे में मंदिर की देखभाल का जिम्मा हम सभी पर है। इसी लिए मंदिर में साफ-सफार्इ के साथ सभी लोग घरों से चंदा एकत्र कर हर साल दिवाली के मौके पर मंदिर में रंग रोगन कराते है।ताकि मंदिर चम चमाता रहे।वहीं स्थानिय लोगों ने बताया कि मंदिर के अंदर कोई मूर्ति नहीं है।इसकी वजह हिंदू परिवारों द्वारा गांव छोड़ने पर मूर्तियों को साथ ले जाना है। हालांकि 1992 से पहले यहां मंदिर में मूर्ति स्थापित थी।

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