सिखेड़ा क्षेत्र के गांव भंडूर का मामला मामला थाना सिखेड़ा क्षेत्र के गांव भंडूर का है। वहां 8 मई 2002 को तीन बदमाशों निर्मल सिंह, सतनाम सिंह व जसवीर सिंह ने गांव भंडूर निवासी सोहनवीर का अपहरण कर लिया था। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर सोहनवीर को छुड़ा लिया था। पुलिस पकड़े गए आरोपियों को भंडूर पुलिस चौकी ले गई थी। इस बीच में ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हो गई। आक्रोशित ग्रामीणों ने अपहरणकर्ताओं को पुलिस से छोड़ने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला बोलते हुए भंडूर पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था। इस दौरान जमकर बवाल हुआ था। हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
चार आरोपियों की गोली लगने से हो गई थी मौत तत्कालीन सिखेड़ा थाना प्रभारी बीपी सिंह ने जानलेवा हमला, आगजनी, तोड़फोड़, सरकारी कार्य में बाधा, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने आदि धाराओं में 34 ग्रामीणों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-12 छोटे लाल यादव की कोर्ट में हुई। इनमें चार आरोपितों की मौत घटना वाले दिन ही गोली लगने से हो गई थी। जबकि चार की मौत सुनवाई के दौरान हो गई। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 12 गवाह पेश किए। गवाह व सुबूत के आधार पर और दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने दोषी ठहराए जा चुके 26 में से 25 लोगों को पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई। अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमित कुमार का कहना है कि दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को बीमारी के कारण पुलिस कोर्ट में पेश नहीं कर सकी। उसकी फाइल अलग रखी गई है। एक सप्ताह के भीतर पुलिस उसे कोर्ट में पेश करेगी तब सजा चुनाई जाएगी।
इनको मिली सजा विपिन कुमार, तेजपाल, बिल्लू, बिजेन्द्र, उदयराम, राजपाल, मुकेश, जयपाल, संजीव, पूरन, योगेन्द्र, मनोज, ललित, मुनेश, कैलाश, विजयपाल, मनोज, जगन उर्फ जंगसिंह, दिलशाद, साजिद, विजयकांत निवासी गण भंडूर थाना सिखेड़ा। इसके अलावा लियाकत निवासी गांव बिहारी थाना सिखेड़ा और नीटू, नेहरू व फौजी निवासी गण मिर्जा टिल्ला थाना सिखेड़ा को सजा सुनाई गई।