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कोर्ट का अनूठा फैसला, बेरोजगार पति को हर माह 2000 रुपए गुजारा भत्ता दे पत्नी

locationमुजफ्फरनगरPublished: Oct 23, 2020 04:30:37 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

-करीब 10 साल से अलग रह रहे हैं पति-पत्नी -पत्नी चतुर्थ श्रेणी की रिटायर कर्मचारी, मिलती है 12 हजार पेंशन

कोर्ट का अनूठा फैसला, बेरोजगार पति को हर माह 2000 रुपए गुजारा भत्ता दे पत्नी

कोर्ट का अनूठा फैसला, बेरोजगार पति को हर माह 2000 रुपए गुजारा भत्ता दे पत्नी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

मुजफ्फरनगर. मुजफ्फरनगर फैमिली कोर्ट ने पत्नी द्वारा पति को गुजारा भत्ता देने का निर्णय सुनाया है। सात साल पहले कानपुर निवासी किशोरी लाल ने अपनी दयनीय हालत का हवाला देते हुए मुजफ्फ़रनगर की फैमिली कोर्ट में गुजारे भत्ते के लिए वाद दायर किया था। हालांकि, पति कोर्ट के इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उसका कहना है कि पत्नी की पेंशन का एक तिहाई हिस्सा उन्हें मिलना चाहिए था।
खतौली तहसील क्षेत्र के रहने वाले किशोरी लाल सोहंकार का 30 साल पहले कानपुर की रहने वाली मुन्नी देवी के साथ विवाह हुआ था। शादी के कुछ समय बाद ही दोनों में विवाद हो गया। इसके बाद लगभग 10 साल से किशोरी लाल और मुन्नी देवी अलग-अलग रह रहे थे। उस समय पत्नी मुन्नी देवी कानपुर में स्थित इंडियन आर्मी में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी थीं। कुछ समय पूर्व किशोरी लाल की पत्नी मुन्नी देवी रिटायर्ड हो गई थीं, इसके बाद मुन्नी देवी अपनी 12 हज़ार की पेंशन में अपना गुजर बसर करती आ रही हैं. वहीं, किशोरी लाल भी खतौली में रहकर चाय बेचने का काम करते हैं।
7 साल पहले गुजारा भत्ता के लिए पति ने दायर किया वाद

7 साल पहले किशोरी लाल ने अपनी दयनीय हालत के चलते मुजफ्फ़रनगर की फैमिली कोर्ट में गुजारे भत्ते के लिए एक वाद दायर किया था। इसमें फैमिली कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पत्नी मुन्नी देवी को पति किशोरी लाल सोहंकार को 2 हज़ार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किया है। किशोरी लाल का कहना है कि लगभग 9 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। लोगों से कर्जा लेकर उन्होंने केस लड़ा है। लॉकडाउन में भी इधर-उधर से मांग कर अपना इलाज कराया। अब मैं दुकान करने के काबिल नहीं हूं. लगभग 20 साल से विवाद चल रहा है।
एक तिहाई पेंशन की मांग

किशोरी लाल ने बताया कि वर्ष 2013 से मामला कोर्ट में है। अब इसमें 2000 प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया है, जबकि 9 साल से जो मैं केस लड़ रहा हूं। उसका कोई जिक्र नहीं है। कायदा यह है कि एक तिहाई गुजारा भत्ता मिलना चाहिए था, जबकि मुझे 2000 प्रतिमाह मिला है। किशोरी लाल ने कहा कि उनकी पत्नी का पेंशन 12000 प्रतिमाह से अधिक है। मैं अपना इलाज भी नहीं करा सकता।
दोनों में औपचारिक तलाक नहीं- वकील

किशोरी लाल सोहंकार के अधिवक्ता बालेश कुमार तायल ने बताया कि यह मामला फैमिली कोर्ट में पेंडिंग था। किशोरीलाल ने सेक्शन 9 में प्रेस्टीज ऑफ कंज्यूमर राइट्स का मुकदमा दायर किया। सेक्शन 25 हिंदू एक्ट के तहत यह मामला लगभग 7 से 8 साल पहले फाइल किया गया था। पहला मुकदमा तय होने के बाद फैसला आया है। दिलचस्प है कि दोनों का तलाक नहीं हुआ है, जबकि इसमें कोर्ट पहले दोनों को साथ रहने का आदेश दे चुकी है।
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