जयपुर से पटना विशेष ट्रेन
जयपुर से पटना के लिए रवाना हुई इस ट्रेन में 1200 लोगों के बिठाए जाने की व्यवस्था की गई। सभी लोगों को ट्रेन में बिठाने से पहले स्क्रीनिंग की गई। सभी अधिकारियों का सोशल डिस्टेंसिंग पर विशेष फोकस था। स्टेशन पर भेजने जाने वाले मजदूर और छात्रों के अलावा किसी को प्रवेश नहीं दिया गया। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक ट्रेन रास्ते में कहीं भी नहीं रूकेंगी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान व बिहार की राज्य सरकारों की अनुशंषा पर स्पेशल ट्रेन सेवा का संचालन किया जा रहा है। इसमें मानक प्रोटोकॉल का पूरा याल रखा गया है। रेलवे और राज्य सरकारों के बीच समन्वयन को लेकर वरिष्ठ नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया गया है।
कोटा में फंसे विद्यार्थियों को आस बंधी
ट्रेनों के संचालन की शुरुआत के बाद कोटा से विद्यार्थियों को नहीं लाने पर किरकिरी झेल रही बिहार सरकार को इससे निजात मिल सकेगी। विद्यार्थियों को नहीं बुलाने से बिहार सरकार को इस मुदï्दे पर काफी फजीहत का सामना करना पड़ रहा था। यह मामला इसलिए भी बढ़ गया कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और असम जैसे दूरदराज के राज्यों ने अपने विद्यार्थियों को कोटा से बुलवा लिया था। इससे बिहार सरकार की किरकिरी ज्यादा हो रही थी। दरअसल मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने स्पष्ट कह दिया था कि सरकार किसी भी सूरत में कोटा में फंसे विद्यार्थियों को नहीं बुलाएगी।
बिहार सरकार कर चुकी इंकार
इसके पीछे उनका तर्क था कि यदि सरकार ऐसा करती है तो बिहार से बाहर फंसे लाखों श्रमिकों के साथ अन्याय होगा। चुंकि अकेले बिहार सरकार के बलबूते इन सभी को लाना संभव नहीं है, इसलिए कोटा से विद्यार्थियों को नहीं लाने की नीति जारी रही। पिछले दिनों प्रधानमंत्री के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी मुख्यमंत्री ने कोटा में फंसे विद्यार्थियों का मुदï्दा उठाया था। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से एक नीति बनाए जाने की मांग की थी। केंद्र के विशेषों ट्रेनों के संचालन की स्वीकृति के बाद अब बिहार के विद्यार्थियों को राहत मिलने के आसार हो गए हैं।
बिहार के 27 लाख दूसरे राज्यों में
राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 27 लाख बिहारी मजदूर दूसरे राज्यों में हैं। इनमें से दस लाख लोग तत्काल लौटना चाहते हैं। हालांकि सरकार यह तय नहीं कर पा रही कि इतनी बड़ी संख्या में अप्रवासियों के लौटने के बाद उन्हें फिर से बसाने और जीवन यापन के काम देने के वह क्या प्रबंध कर पाएगी। सरकारी सूचनाओं के अनुसार दिल्ली में 4.75 लाख, हरियाणा में 2.97 लाख,महाराष्ट्र में 2.69 लाख, गुजरात में 2.06 लाख, यूपी में1.88 लाख, पंजाब में 1.52 लाख, कर्नाटक में1.04 लाख, बंगाल में 1 लाख, तमिलनाडु में87 हजार तथा राजस्थान में 87 हजार मजदूर फंसे हैं। हालांकि गैर-सरकारी आंकड़े कुछ और ही हैं। यह आंकड़ा उन मजदूरों का है जो बिहार सरकार से मदद के लिए आवेदन कर चुके हैं।