पिछले वर्ष महामारी से सौ से अधिक बच्चों की मौत के बाद यूनाइटेड स्टेट्स की ‘सेंट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल और उसकी भारतीय इकाई के विशेषज्ञ डॉक्टरों के अध्ययन दल ने पता लगाया था कि मॉनसून के पहले लीची के पकने के दिनों में यह बीमारी फैलती है। विशेषज्ञ दल की रिपोर्ट संस्था की पत्रिका और टाइम्स में छापी गई। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार लीची के पकने के साथ ही उसके रस में ‘हाइपोग्लिसीन ए तथा मेथिलीन साइक्लोप्रोफिल ग्लीसीन’- MCPG,नामक विषैले तत्व पनप आते हैं। भोजन में लीची के प्रचूर मात्रा में सेवन से ये जहरीले तत्व बच्चों के सूगर के लेबल को काफी हद तक कम करके उन्हें गंभीर रूप से बीमार कर डालते हैं।
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ राजन कुमार ने “पत्रिका”को बताया कि प्रभावित बच्चों में इस जहर के सेवन से इंसेफ्लाइटिस बुखार गंभीरता से फैल जाती है। शूगर लो हो जाने से हाथ पैर का फूलना और अकड़ना बढ़ जाता है। इस बीमारी के असर से बच्चों को ऑक्सीजन कम मात्रा में मिलने लगती है। बुखार अंततःजानलेवा साबित हो रही है।