15 बच्चे हैं बीमार
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में एईएस से पीडिति दस बच्चे इलाज के लिए भर्ती कराए गए हैं। सदर अस्पताल में पहले से पांच भर्ती हैं। इनका सघन इलाज चल रहा है। राज्य सरकार के निर्देश पर बेहतर इलाज और दवाओं की उपलब्धता पर जोर दिया गया है। बीते कुछ सालों में उत्तर बिहार के दस जिलों में एईएस का कहर भयानक होकर गरीब परिवारों पर टूटा है।
मुख्यमंत्री ने की थी समीक्षा
एईएस और जेई के बढ़ते असर की खबरों के बीच मुख्यमंत्री ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सभी जिलाधिकारियों और सीएस के साथ इस मसले की समीक्षा की थी। इसके रोकथाम के उपायों पर जोर देने की हिदायत दी थी। मुख्यममंत्री ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मी लोगों को इस बीमारी से बचने के उपाय बताएं। आंगनबाड़ी सेविकाओं की मदद से गांवों में लोगों को साफ -सफाई और एईएस के लक्षणों की जानकारी देने संबंधी निर्देश भी मुख्यममंत्री ने दिए। उन्होंने कोरोना के साथ घर घर इन बीमारियों के लक्षणों को लेकर भी सर्वे कराने के आदेश दिए हैं।साफ -सफाई और दवा हर समय तैयार रखने पर सीएम ने विशेष जोर दिया।
बन रहा नया अस्पताल
स्वास्थ्य मंत्री मंडल पांडेय ने बताया कि मुजफ्फरपुर में एईएस और जेई के इलाज के लिए नया अस्पताल तैयार किया जा रहा है।100 बैड का नया पीकू वार्ड बनकर पहले ही तैयार है। एसकेएमसीएच में 150 बैड का आईसीयू पहले से कार्यरत हैं। मरीजों की सेवा के लिए 118 नये एंबुलेंस भेजे गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मरीजों को निजी वाहन या भाड़े के वाहनों से अस्पताल लाए जाने पर भी 1200 रुपये भाड़े के बतौर दिए जाएंगे। अस्पतालों में 24 घंटे डॉक्टरों की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं।
मुस्तैद रहने के आदेश
सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों और स्वास्थ्यकमिज़्यों को हर समय मुस्तैद रहने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा अस्पतालों में दवाओं की तनिक भी कमी नहीं होने दी जाएगी। पिछले साल ही इसकी भयावहता ने 150 से अधिक बच्चों की जीवन लीला लील ली थी। केंद्रीय टीम ने मुजफ्फरपुर का दौरा कर सच्चाई जानी और सरकार को इससे निबटने के लिए पहले से तैयारी करने की सलाह दी थी।