विभाग पर सीबीआई को शक
सीबीआई को अंदाजा हो चुका है कि विभाग के स्तर पर फंड आवंटन में हेरफेर की गई। मसलन पांच अप्रेल को टिस की रिपोर्ट विभाग को मिल जाने के बावजूद 17 अप्रेल को ब्रजेश की संस्था को 25 लाख रुपए आवंटित कर दिए। पांच अप्रेल को विभाग की बैठक में टिस की रिपोर्ट को कोई महत्व नहीं दिया गया। मामले ने तूल पकड़ा तब 26 मई को सभी जिलों के बाल संरक्षण इकाई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया। रिपोर्ट 27 अप्रेल को विभाग को मिलने की बात विभागीय शुद्धि पत्र के जरिए सार्वजनिक की गई। विभाग इस बात को लेकर भी कटघरे में है कि मामले के तूल पकडऩे के बावजूद ब्रजेश की संस्था को भिक्षु गृह का टेंडर दे दिया गया। विवाद बढ़ जाने पर आनन फानन में ब्रजेश की संस्था को काली सूची में डाला गया। विभाग के प्रधान सचिव समेत कई अधिकारी सीबीआई के राडार पर हैं।