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Sanatan Dharma: सनातन धर्म के पर्वों को एक तिथि पर मनाने का निर्णय

locationमुजफ्फरपुरPublished: Sep 09, 2019 06:25:07 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

Sanatan Dharma: अखंड पुरोहित महासभा ने सनातन धर्म के पर्वों ( Festivals ) को एक ही तिथि ( On A Date ) पर मनाने का निर्णय किया है। यह निर्णंय मुजफ्फरपुर के गरीबनाथ मंदिर के सत्संग भवन में आयोजित सनातन महाकुंभ 2076 के आयोजन में किया गया।

Sanatan Dharma: सनातन धर्म के पर्वों को एक तिथि पर मनाने का निर्णय

Sanatan Dharma: सनातन धर्म के पर्वों को एक तिथि पर मनाने का निर्णय

Sanatan Dharma: मुजफ्फपुर (प्रियरंजन भारती), अखंड पुरोहित महासभा ने सनातन धर्म ( Sanatan Dharma ) के पर्वों ( Festivals ) को एक ही तिथि ( On A Date ) पर मनाने का निर्णय किया है। यह निर्णंय मुजफ्फरपुर के गरीबनाथ मंदिर के सत्संग भवन में आयोजित सनातन महाकुंभ 2076 के आयोजन में किया गया।
इस आयोजन के दौरान ‘पंचांगों ( Panchang ) में पर्वों की एकरूपता में हमारी भूमिकाÓ विषय पर विमर्श किया गया। पंडितों, विद्वानों और महंतों ने इस दौरान पंचांगों की एकरूपता से ही पर्वों में एकरूपता होने की बात कही। निर्णय लिया गया कि पिछले साल धर्म संसद में जिन 14 पर्वों की एकरूपता पर सहमति बनी थी उन्हें सनातन धर्म के लोग एक ही तिथि को मनाएंगे।

धर्म संसद का आयोजन
नवंबर या दिसंबर में फिर से धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान पंचांगों में पर्वों की एकरूपता सहित अन्य बातों पर विचार किया जाएगा। अध्यक्षता करते हुए पंचांग निर्णय समिति व चाणक्य विद्यापति सोसायटी के अध्यक्ष तथा बाबा गरीबनाथ मंदिर के पुजारी पंडित विनय पाठक ने कहा कि सनातन धर्म का सम्मान पर्वों की एकरूपता से ही संभव है।

चार पर्व एक साथ मनाएंगे
सनातन महाकुंभ में आगामी चार मुख्य पर्वों को एक साथ मनाने का निर्णय किया गया। इनमें जीवितपुत्रिका व्रत 22 सितंबर, विजयादशमी आठ अक्टूबर, दीवाली 27 अक्टूबर तथा छठ दो व तीन नवंबर को मनाया जाएगा।

पाग-चादर होगी परिधान
उधर ललित नारायण मिश्र मिथिला विश्वविद्यालय ने तय किया है कि मिथिला की सांस्कृतिक पहचान पाग-चादर ही ड्रेस कोड यानी परिधान के रूप में मान्य होगी। इसमें राजभवन को भी आपत्ति नहीं होगी। विश्वविद्यालय की ओर से भेजे गये पत्र के आलोक में यह सैद्धांतिक निर्णय किया गया। इस तरह पाग-चादर ही अब दीक्षांत समारोह का मुख्य आकर्षण होगी। गौरतलब है कि दीक्षांत समारोह को लेकर अंग्रेजों के ज़माने के परिधान साफा और अंगवस्त्र को बदलने के लिए राजभवन से एक नियमावली तैयार करने के लिए एक कमेटी बनाई गई थी।

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