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पश्चिमी चंपारण: प्रशासन से आश्वासन मिलने के बाद समाप्त हुआ ग्रामीणों का जल सत्याग्रह

locationमुजफ्फरपुरPublished: Sep 15, 2018 05:18:42 pm

Submitted by:

Prateek

सरकार व प्रशासन की उपेक्षा से त्रस्त ग्रामीणों का कहना है कि मांगें पूरी न हुई तो चुनाव में वोट का बहिष्कार करेंगे या नोटा का समर्थन करेंगे…

(बगहा): जनता की सेवा करने का वादा करके सियासी मुकाम पाने वाले राजनेता अक्सर सीट पर काबिज होने के बाद अपने वादों को भूल जाते है और कभी-कभी प्रशासन भी जनता की परेशानियों को नजर अंदाज कर देता है। ऐसे में जनता को प्रशासन के आलाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए प्रदर्शन का रास्ता अपनाना पड़ता है। पर ज्यादातर समय आश्वासन का लड्डू देकर जनता के इन प्रदर्शनों को शांत करवा दिया जाता है। ऐसा ही हुआ पश्चिमी चंपारण के ठकराहा प्रखंड के सिसवनिया गांव के लोगों के साथ जो अपनी मांगों की पूर्ति करवाने के लिए शुक्रवार से जल सत्याग्रह कर रहे थे। अंत में स्थानिय प्रशासन ने आश्वासन के ठंडे छिटे मारकर सत्याग्रह को समाप्त करवाया। सरकार व प्रशासन की उपेक्षा से त्रस्त ग्रामीणों का कहना है कि मांगें पूरी न हुई तो चुनाव में वोट का बहिष्कार करेंगे या नोटा का समर्थन करेंगे।


आठ महीने रहता है जलजमाव

पश्चिमी चंपारण के ठकराहा प्रखंड के सिसवनिया गांव के लोगों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से निराश होकर जल सत्याग्रह किया। छः सौ लोगों के इस गांव के लोग साल में आठ महीने जलजमाव से त्रस्त रहते हैं।

 

शुक्रवार से चल रहा था जल सत्याग्रह

जनप्रतिनिधियों और सरकारी उपेक्षा से त्रस्त लोगों ने शुक्रवार से ही गांव के एक सरोवर में जल सत्याग्रह शुरु किया। शनिवार को स्थानीय प्रशासन की तरफ से मिले आश्वासन के बाद ग्रामीणों का जल सत्याग्रह समाप्त कराया गया।


ग्रामीणों को है ढेरों शिकायतें

ग्रामीणों को सरकार और जनप्रतिनिधियों से ढेरों शिकायतें हैं। गांव चौतरफा जल से घिरा रहता है।सड़कों की जगह जहां तहां बड़े छोटे गड्ढे हैं जिनमें हमेशा पानी जमा रहता है। गांव के बच्चे साल में चार महीने ही दो किमी दूर स्कूल जा पाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगले चुनाव में या तो वे वोट का बहिष्कार करेंगे या नोटा बटन का इस्तेमाल करेंगे।

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