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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर के चर्चित मामले सहित कुल 894 मामलों की सूची जारी की है। वर्ष 2010 से 2019 तक हुए मामलों में अधिकारी अपना पक्ष आयोग के समक्ष नहीं ऋख पा रहे हैं। इसे लेकर आयोग ने सख्ती बरतनी शुरु कर दी है। आयोग की सख्ती के बाद गृह विभाग के विशेष सचिव सुनील कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है।
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डीएम,एसएसपी और और जेल अधीक्षकों को इन मामलों में दस दिन के भीतर पक्ष रखने की हिदायत दी है। इससे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है।
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सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद ने कहा कि शेल्टर होम में 36 किशोरियों के मानवाधिकार का हनन हुआ है। इन मामलों में दोषियों को चिन्हित कर उन पर कड़ी कार्रवाई किया जाना ज़रूरी है। सच्चिदानंद ने इस मामले की आयोग से शिकायत की थी। अब आयोग की सख्ती के बाद मामला अधिकारियों के गले की फांस बन गया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता टी दुर्योधन रेड्डी ने जिले में एईएस से पीड़ित बच्चों की मौत की भी शिकायत आयोग से की थी। इसमें भी लापरवाही बरतने वाले अफसरों की पहचान कर उन्हें दंडित करने की मांग की गई थी। लेकिन इस मामले में भी अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट आयोग को नहीं सौंपी है। इसके अलावा राजस्थान की चाइल्ड राइट्स संस्था ने भी जिले के 50 बाल श्रमिकों के पुनर्वास न होने की शिकायत भी आयोग से की थी। इसका जवाब भी अधिकारी अभी तक नहीं दे पाए हैं।