सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान गुरुवार को यह आदेश दिया। साथ ही राज्य सरकार से पूछा कि शेल्टर होम को दिए गये साढ़े चार करोड़ रुपये कहां गये,इसका हिसाब दें।अदालत ने राज्य सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा है और बालिका गृह से स्थानांतरित की गई लड़कियों के बारे में भी पूर्ण जानकारी हलफनामे के जरिए देने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि मामले के अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर, पूर्व मंत्री मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रेश्वर वर्मा का इतना खौफ कि कोई कुछ बोल नहीं पाए।
बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मामले की जांच कर रही सीबीआई की नई टीम के गठन पर भी तत्काल रोक लगा दी थी।पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए 21सितंबर तक टीम गठित करने के निर्देश दे रखे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि इससे जांच प्रभावित होगी।कहा कि इसका कोई औचित्य नहीं है।
बता दें कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफसोशल साइंसेज (टिस)ने सोशल ऑडिट में बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह समेत कई शेल्टर होम्स में यौन शोषण और गड़बड़ियों का खुलासा किया था।राज्य सरकार ने देर से पुलिस जांच के आदेश दिए और ब्रजेश ठाकुर समेत दस अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई और पटना हाईकोर्ट ने इसकी निगरानी करनी शुरु की। पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इसकी मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी थी कि इससे अभियुक्तों को बचाव के मौके मिल जाते हैं। जबकि कोर्ट ने इस पहलू पर कम ध्यान दिया कि मीडिया में छपने और प्रसारित होने से ही मामले का खुलासा हुआ और आरोपी पकड़ में आ सके।