शादी को यादगार बनाया
टावरनुमा इस पांच मंजिला इमारत बनने की दास्तां भी कम दिलचस्प नहीं है। बिहार के मुजफ्फरपुर के गन्नीपुर स्थित मुख्य सड़क के किनारे यह इमारत मौजूद है। मुजफ्फरपुर के रहने वाले संतोष और अर्चना ने शादी के बाद 6 फीट चौड़ा और 45 फीट लंबा यह भूखंड खरीदा था। लेकिन जमीन की चौड़ाई महज 6 फीट रहने के कारण कई वर्षों तक उन्होंने इस पर कोई निर्माण नहीं करवाया। लोगों ने उन्हें जमीन बेचने की भी सलाह दी लेकिन शादी की यादगार वाली इस भूखंड पर दोनों ने मकान बनाने की ठानी और खुद मकान का नक्शा लेकर निगम के इंजीनियर के पास गए और नक्शा पास करवाया।
बिल्डिंग बायलॉज के तहत बना
वर्ष 2014 के नये बिल्डिंग बायलॉज से पहले इस भवन का नक्शा पास हुआ था। यही वजह है कि जितनी जमीन थी उस पर मकान बनना संभव हो गया। इमारत में खिड़की बाहर खुलने की भी जगह नहीं छूटी है। वर्ष 2012 में नक्शा पास होने के बाद 2015 में यह भवन बनकर तैयार हुआ। आस-पास जलजमाव को देखते हुए संकरे जगह में बना पांच मंजिला यह मकान गिर न जाये, इसके लिए हाल के दिनों में पड़ोस के खाली जगह पर थोड़ा सा निर्माण कराया गया है।
शौचालय और किचन भी
पांच मंजिले इस इमारत के आगे के आधे हिस्से में सीढिय़ां बनी हैं जबकि दूसरे हिस्से में घर बना हुआ है। मकान का आधा हिस्सा जो करीब 20 फीट लंबाई और 5 फीट चौड़ाई वाला है, उसमें एक कमरे का फ्लैट बनाया गया है, जिसमें शौचालय से लेकर किचन तक मौजूद है। किचन और शौचालय का आकार ढाई गुना बनाम साढ़े तीन फुट है। कमरे की लंबाई 11 फीट और चौड़ाई 5 फीट है। कुल मिलाकर एक बैचलर के लिए ऊपर के चार फ्लैट तैयार किए गए हैं। जबकि इसके निचले फ्लोर को हॉलनुमा आकार देकर ऊपर जाने के लिए सीढिय़ां बनाई गई हैं।
कोई कहे एफिल टावर तो कोई अजूबाघर
मुख्य सड़क से मकान बिल्कुल अपने आकार में साफ-साफ दिखाई पड़ता है। इसकी वजह है कि मकान के अगल-बगल कोई बड़ा भवन नहीं है। अपनी बनावट से खास बन चुके इस अजूबे भवन को देखने और समझने के लिए रोजाना लोग आ रहे हैं। मकान बनने पर लोग इसे मुजफ्फरपुर का एफिल टावर तो कई लोग इसे अजूबाघर कहने लगे। बिल्कुल सपाट दिखने वाले इस मकान को एक नजर देखने के लिए कलमबाग चौक से गन्नीपुर के रास्ते रामदयालु आने-जाने वाले लोग अवश्य रूक जाते हैं। सड़क से गुजरने वाला हर राहगीर इस अजूबे मकान को देखे बिना नहीं बढ़ता।
प्रेम की निशानी और कमाई
मकान की बनावट सभी को एक नजर देखने के लिए मजबूर करती है। शादी के यादगार के तौर पर बनाए गए इस मकान के फिनिशिंग वर्क के बाद पिछले दो साल से इसका व्यावसायिक उपयोग भी शुरू हो गया है। मकान के निचले फ्लोर पर कौशल विकास केंद्र के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोला गया है जिसमें एक साथ 20 छात्र कंप्यूटर की शिक्षा लेते हैं। जबकि ऊपर के मंजिलों पर बैचलर छात्र रहते हैं।