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बीजेपी विधायक तेजेन्द्र निर्वाल ने मंच से बोलते हुए कहा कि आज क्या दृश्य है। एक योगी जी को जेल में डाला तो दूसरे योगी जी आ गए। क्या चल सके फतवे । अगर सर पर टोपी रखी होती थी तो यहां हिम्मत नहीं होती थी पुलिस की कि बाइक रोककर पूछ ले कि तुम्हारी बाइक के कागज कहा है। थाने में घुसकर दरोगा की पिटाई, डीएसपी की, पत्रकार की पिटाई होती थी । कोई बचा ही नही। सब की पिटाई और आज क्या है। पिछले साल का आपने दृश्य देखोगे तो 15 अगस्त के दिन अगर हमारे विधालय भी हैं और उसमें मुस्लिम बच्चे पढ़ भी रहे हैं तो उन्हें कहते थे की आप खड़े नही होंगे। धर्म के विरुद्ध है। आप राष्ट्रगान नहीं गाओगे। आप वन्दे मातरम् नही गाओगे। आज कल तो खुली आजादी है स्कूलों में। जब मैं कन्या स्कुल में गया तो वहां के प्रधानाचार्य ने कहा कि पहली बार 60 बच्चियां मुस्लिम आई हैं। जिस कार्यक्रम में हम गए हमारे स्कूलों की बात छोड़ दो मदरसों में भी राष्ट्रगान हो गया। वन्दे मातरम् हो गयी। सारे मौलवी फतवा देते रहे धर्म विरोधी है कोई नही करेग, लेकिन फतवा चला किसका। फतवा योगी जी का चला ।
यह भी पढ़ेंः बलात्कारी बाबा की सजा पर साक्षी महाराज के बाद अब आया रामपुर से भाजपा सांसद का बड़ा बयान वहीं, जब मीडिया ने विधायक से योगी के फतवे के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि फतवे से मेरा मतलब था की अभी तक मुस्लिम संगठनो के मुल्ला-मौलवी वे इस तरह के फतवे देते ते कि राष्ट्रगान, वन्दे मातरम् हमारे धर्म के विरुद्ध है। हम उसको नही गाएंगे, जबकि राष्ट्रगान न गाना एक तरह से राष्ट्रगान का अपमान हैं। उनका फतवा चलता रहा और वे जबरदस्ती लोगों को मजबूर करते रहे कि वो राष्ट्रगान न गाए। पहली बार योगी ने कहा हैं की राष्ट्रगान और वन्दे मातरम् मदरसो में भी होना चाहिए, तो इस कदर मुस्लिम समाज के लोग खुलकर के सड़कों पर उतरे। मैंने खुद देखा कि बहुत से कार्यक्रम में हमारी मुस्लिम बहने सब ने राष्ट्रगान भी गाया और वन्दे मातरम् भी गाया।
यह भी पढ़ेंः मुसलमान बक़रईद पर डीएम के इस नेक सलाह को मानेंगे तो बिल्कुल नहीं होंगे दंगे वे लोग फतवे के दबाव में राष्ट्रभाव नहीं प्रकट कर पाते थे। जेसे ही योगी ने आह्वान किया तो सब लोग सड़कों पर आगे आए। राष्ट्रवाद का फतवा चला राष्ट्र, विरोधी ताकतों का फतवा नहीं चला। अब इन लोगों को लग रहा हैं की अच्छी सरकार हैं तो सब खुलकर के आगे आ रहे हैं। जो किसी नेता के दबाव में आकर राष्ट्र के प्रति अपना भाव नहीं दिखा पाते थे।