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भारत में आखिर कहां पैदा होती है कसूरी मैथी, जानने के लिए पढें पूरी खबर

locationनागौरPublished: Nov 30, 2021 05:20:43 pm

Submitted by:

Rudresh Sharma

– देशभर में सिर्फ नागौर में होता है उत्पादन – पिछले एक साल में दस गुना बढ़ी डिमांड- सात साल से चल रही मसाला सूची में शामिल करने की माथापच्ची- पचास साल से मसाले के रूप में बाजार में पहचान
 

Kasuri Methi

दुनियाभर की रसोइयों को महका रही कसूरी मैथी, सरकार मसाला मानने को तैयार नहीं

रुद्रेश शर्मा@ नागौर
दुनियाभर की रसाइयों को महका रही कसूरी मैथी (नागौरी पान मैथी) को सरकार मसाला मानने को तैयार नहीं। जबकि देश की कई नामी कम्पनियां सालों से इसे मसाले के रूप में प्रचारित कर बेच रही है। कसूरी मैथी अब अन्य मसालों की तरह हर रसोई की जरूरत बन चुकी है। पिछले एक साल में तो इसकी डिमांड दस गुना तक बढ़ी है।

माना जाता है कि एमडीएच मसाला कम्पनी के संस्थापक महाशय धर्मपाल गुलाटी ने सत्तर के दशक में पंजाब के सिंध प्रांत स्थित कसूरी गांव (वर्तमान में पाकिस्तान) से इसके बीज लाकर नागौर में इसकी पैदावार शुरू करवाई थी। इसीलिए इसका नाम कसूरी मैथी हो गया। नागौर की आबोहवा इसके लिए मुफीद रही और मसाले के रूप में इसकी मांग बढ़ती चली गई। आज स्थिति यह है कि करीब १५-२० कम्पनियां बड़े पैमाने पर सिर्फ नागौरी पान मैथी यानी कसूरी मैथी की प्रोसेसिंग का काम कर रही है।
पूरे विश्व में सिर्फ नागौर में उत्पादन
केंद्रीय मसाला बोर्ड के जानकारों का कहना है कि कसूरी मैथी भले ही बरसों पहले सिंध के कसूरी गांव से लाई गई हो, लेकिन वर्तमान में इसका सर्वाधिक उत्पादन नागौर जिले के कुछ क्षेत्र में ही होता है। नागौर, खींवसर व मेड़ता उपखंड में इसका सर्वाधिक उत्पादन किया जा रहा है। यहां की जलवायु इसके लिए सबसे मुफीद साबित हो रही है। अन्य स्थानों पर इसके उत्पादन के प्रयास हुए, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
अभी क्या?
वर्तमान में नागौरी मैथी को हॉर्टिकल्चर की श्रेणी में गिना जा रहा है। जबकि बरसों से इसका उपयोग और मार्केटिंग दोनों ही मसाला उत्पाद के रूप में हो रही है। अन्य मसालों की तरह ही इसे भोजन का स्वाद एवं खुशबू को बढ़ाने व गार्निशिंग में काम लिया जाता है।

देशभर में 52, राजस्थान में 12 कृषि उत्पाद मसाला श्रेणी में
भारत में केंद्रीय मसाला बोर्ड के गठन के बाद कृषि उत्पादों में मसालों की श्रेणी अलग की गई। जिसमें अब तक कुल 52 उत्पादों को श्रेणीबद्ध किया गया है। राजस्थान के 12 कृषि उत्पाद मिर्च, जीरा, बड़ी सौंफ, दाना मैथी, सौंफ, अजोवन, सोआ, लहसुन, करी पत्ता, पुदीना, सरसों, तुलसी मसालों की श्रेणी में है।

इनका कहना
पिछले छह-सात साल से नागौरी मैथी को मसाला की श्रेणी में सुचिबद्ध करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए उत्पादन व बाजार से संबंधित रिपोर्ट मसाला बोर्ड मुख्यालय को भेजी हुई है। इसकी हिस्ट्री को लेकर कुछ परेशानी आ रही है। जिसे दूर करने के प्रयास जारी है।
– डॉ.श्रीशैल के. कुल्लौई, वरिष्ठ क्षेत्र अधिकारी, मसाला बोर्ड, जोधपुर
हम नागौरी पान मैथी को मसाला के रूप में श्रेणीबद्ध करने के लिए प्रयास कर रहे है। साथी ही इसका नागौर का जीआई टेग के लिए भी प्रयासरत हैं। केंद्र सरकार ने एक जिला एक फसल में भी नागौरी पान मैथी को शामिल किया है। मंूंडवा में सौ बीघा जमीन फूड पार्क के लिए आवंटित हुई है। जिसमें मैथी आधारित उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा।
– भोजराज सारस्वत, सदस्य, केंद्रीय मसाला बोर्ड
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