scriptअब पंजाब नहीं उडता राजस्‍थान | 10101 | Patrika News

अब पंजाब नहीं उडता राजस्‍थान

locationनागौरPublished: Jan 07, 2022 05:03:01 pm

Submitted by:

Rudresh Sharma

जघन्य अपराधों की वजह बनता जा रहा है नशा, पिछले साल नशे के मामलों में पंजाब को पीछे छोड़ चुका राजस्थान, पुलिस की प्राथमिकताओं में शुमार नहीं नशे पर अंकुश लगाना

नागौर में पान की दुकनों पर यूं बिकता है नशा

नागौर में पान की दुकनों पर यूं बिकता है नशा

रुद्रेश शर्मा @ नागौर . बॉलीवुड ने भले ही पंजाब में नशे के कारोबार को लेकर ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म बना डाली हो, लेकिन राजस्थान नशे के मामले में पंजाब से कहीं पीछे नहीं। स्थिति यह है कि अब नशा प्रदेश में जघन्य अपराधों की वजह बनता जा रहा है। हैरत की बात यह है कि इसके बावजूद नशे के कारोबार पर अंकुश लगाना पुलिस की प्राथमिकताओं में शुमार नहीं है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो व सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते साल नशे के मामले में राजस्थान ने पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है। पिछले साल में ऐसी कई वारदातें सामने आई हैं, जिनमें नशे के आदी हो चुके या इसके कारोबार में लिप्त लोग जघन्य अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इनमें हत्या, डकैती और बलात्कार जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। अकेले नागौर जिले में पिछले एक साल में करीब आधा दर्जन से अधिक वारदातें ऐसी हुई, जिनमें नशे की वजह से लोगों की जान ले ली गई।
रेकॉर्ड में घटी अवैध शराब, लेकिन मादक पदार्थ तस्करी बढ़ी
प्रदेश में नशे के कारोबार पर गौर करें तो पिछले तीन साल में अवैध शराब पर कार्रवाई के आंकड़े घटे हैं। चिंता की बात यह है कि इसकी तुलना में मादक पदार्थों की तस्करी बढ़ी है। राज्य में वर्ष 2019 में एक्साइज एक्ट में 18698 प्रकरण दर्ज हुए थे, जबकि 2020 में 16484 व 2021 में 18187 मामले दर्ज हुए। वहीं 2019 में एनडीपीएस एक्ट के 2426 प्रकरण दर्ज किए गए। 2020 में 2550 तथा 2021 में 2839 मामले दर्ज किए गए। जानकारों का कहना है कि वर्ष 2020 व 2021 में कोरोना की वजह भी एक्साइज एक्ट के मामलों के गिरावट की वजह रही।
रूप बदल रहा नशा

समय के साथ नशे के रूप भी बदल रहे हैं। इन दिनों शराब, गांजा और स्मैक के अलावा एमडीएम और दवाएं तक नशे के लिए काम ली जा रही है। युवाओं में नशे की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। सूत्रों की माने तो कई नशे के आदी हो चुके कई युवा और महिलाएं तक नशीले पदार्थों के पेडलर (आपूर्तिकर्ता) बने हुए हैं।

नेता और अफसर मान रहे गंभीर, लेकिन अंकुश के प्रयास नाकाफी

राजस्थान में नेता और अफसर भी नशे की वजह से खराब हो नई नस्ल की बात को स्वीकारते हैं। लेकिन इस पर अंकुश के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। हाल ही में नागौर जिले के प्रभारी व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री राजेंद्र यादव भी सार्वजनिक मंच पर नई पीढ़ी में नशे के दुष्प्रभाव की बात को स्वीकार चुके हैं। जिला कलक्टर डॉ.जितेंद्र सोनी ने ‘एक युद्ध नशे के विरुद्ध’ चलाया, लेकिन पुलिस की सख्ती इसे लेकर कहीं नजर नहीं आती है।

केस – 1

कुख्यात अपराधी राजू फौजी ने बीते साल भीलवाड़ा जिले के दो पुलिसकर्मियों को फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया। बाड़मेर निवासी राजू मादक पदार्थों की तस्करी के कारोबार में लिप्त है। जिस पर पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित किया था।
केस – 2
नागौर जिले के सदर थाना क्षेत्र में नशे के आदि और नशे के कारोबार में लिप्त सत्तार खान और उसके भाई दिलावर खान ने वृद्धा धापू देवी और उसके बीस वर्षीय दोहित की कुल्हाड़ी से नृशंस हत्या कर लूट की वारदात को अंजाम दिया।
केस – 3

नागौर जिले में पिछले साल शराब के नशे में युवक ने सात साल की मासूम से बलात्कार के बाद हत्या कर हैवानियत की हदें पार कर दी।

इनका कहना
समाज में नशे की उपस्थिति भयावह रूप से बढ़ रही है। इसकी गिरफ्त में आने वाले युवा नशे के लिए कोई भी जघन्य अपराध करने तक से नहीं चूक रहे। सरकार को इसे गंभीरता से लेना होगा। पुलिस को नशे पर नियंत्रण को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल करना चाहिए।
– डॉ.अशोक चौधरी, संयोजक, अभिनव राजस्थान
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो