नागौर

पांच किलोमीटर का 25 रुपए किराया, चलना है तो चलो, नहीं तो उतर जाओ…!

कुचामन, लाडनू, डीडवाना, मेड़ता एवं परबतसर आदि क्षेत्रों में बिगड़ी स्थिति

नागौरSep 22, 2018 / 07:01 pm

Sharad Shukla

पांच किलोमीटर का 25 रुपए किराया, चलना है तो चलो, नहीं तो उतर जाओ…!

नागौर. राजस्थान राज्य रोडवेज संयुक्त कर्मचारी मोर्चा की हड़ताल में प्राइवेट वाहन संचालकों की बल्ले-बल्ले हो गई। दूरी भले ही महज एक किलोमीटर है, लेकिन किराए की वसूली चेहरा देखकर की जाने लगी है। मसलन पांच किलोमीटर तक का किराया 25 रुपए। हड़ताल से पूर्व 80 रुपए के किराए पर गंतव्यों तक ले जाने वालों से 90 से 100 रुपए की वसूली की जाने लगी है। इस दौरान मनमर्जी के किराए की दर पर किसी ने आपत्ति जताई तो कह दिया जाता है कि पेट्रोल के दाम बढ़ गए हैं, जाना है तो चलो, नहीं तो पैदल ही चले जाओ। जाने की मजबूरी और रोडवेज की हड़ताल को देखते हुए मजबूरी में यात्री बेबसी से मन मसोसकर चले जाते हैं। इधर, रोडवेज कर्मियों का धरना शुक्रवार को भी जारी रहा। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि सरकार ख्रुद ही निगम के विरोध में प्राइवेट वाहन संचालकों को प्रश्रय दिए जाने का काम करने लगी है। जबकि जनता को सुविधाएं केवल रोडवेज में मिलती है, प्राइवेट में नहीं।
हालात बिगड़े
रोडवेज की लगातार पांचवें दिन चक्काजाम हड़ताल से अब जनता की हालत भी बिगडऩे लगी है। रोडवेज बसों के नहीं चलने का फायदा जिले भर के प्राइवेट वाहन चालक उठाने में लगे हुए हैं। लाडनू से नागौर आने वाले यात्री गोपाल से मुलाकात हुई तो वह प्राइवेट वाहन चालकों से काफी नाराज नजर आए। गोपाल ने बताया कि लाडनू का किराया उनसे शुक्रवार को प्राइवेट वाहन चालक ने पूरे 95 रुपए ले लिए। जबकि पहले वह महज 60-70 रुपए में आते-जाते थे। ज्यादा किराया लिए जाने पर आपत्ति जताई तो उसने कह दिया कि पेट्रोल के दाम बढ़ गए हैं, नहीं जाना है तो फिर उतर जाओ बस से। मजबूरी में उसकी मनमर्जी का किराया देकर नागौर आना पड़ा। बीकानेर रेलवे फाटक के पास मिले जियालाल ने बताया कि उन्हें जयपुर जाना है, लेकिन रोडवेज की हड़ताल के कारण वह डीडवाना से प्राइवेट वाहन चालक को मनमर्जी का किराया देकर नागौर तक तो आ गए, लेकिन प्राइवेट बस चालक ने उन्हें बस स्टैंड की जगह यहां पर छोड़ दिया। अब यहां से आटो लेकर उन्हें बस स्टैंड जाना पड़ेगा। जब उन्हें यह बताया गया कि रोडवेज की हड़ताल चल रही तो फिर वह रोडवेज व सरकार को कोसते नजर आए। जियालाल का कहना था कि अब जयपुर जाना जरूरी है, भले ही ज्यादा किराया देना पड़े। केन्द्रीय बस स्टैंड के पास मिले रामनिवास ने बताया कि वह कुचामन से प्राइवेट वाहन चालक को करीब ढाई सौ रुपए देकर यहां तक पहुंचे हंै। जिस बस में आना था,उसमें सीट नहीं होने के कारण उन्हें बस की छत पर बैठकर यात्रा करनी पड़ी। चालक ने तो कह दिया था, इसमें जगह ही नहीं है। अब ज्यादा पैसे लगेंगे, और बस की छत पर बैठना पड़ेगा।
कर्मचारियों का संघर्ष निरर्थक नहीं जाएगा
जगदम्बा के मंदिर में रोडवेज संयुक्त मोर्चा आगार की पांच दिन से चल रही हड़ताल पर प्रदेश सकरार की आलोचना की गई। यातायात मंत्री के साथ हुए समझौते से मंत्री का अपने ही वायदे से पीछे हट जाना दुखद स्थिति है। प्रदेश के आठ लाख कर्मचारियों का संघर्श निरर्थक नहीं जाएगा। एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मणदान कविया नेे बताया कि हड़ताल में हरीराम जाजड़ा जगदीष डिडेल रामरतन डिडेल मोहन गौड ,कर्णसिंह , किषोर कुमार भंवरलाल खटीक रामकिषोर मूंडेल , छोटूराम रिणवा , रामदेव चौधरी आदि उपस्थित थे।
भटकते रहे यात्री, पसरा रहा सन्नाटा
केन्द्रीय बस स्टैंड पर आने वाले यात्री हैरान-परेशान भटकते रहे। रोडवेज आने पर सभी बुकिंग विंडों के बंद होने एवं एक भी दुकान नहीं खुले होने की स्थिति में वह काफी असहज नजर आए। बस स्टेंड परिसर से सटी परिसर में बाहर की ओर के दुकानदारों से बातचीत की तो पता चला कि रोडवेज की चक्काजाम हड़ताल है। इसलिए रोडवेज तो नहीं जाएगी, उन्हें प्राइवेट बस से ही यात्रा करनी पड़ेगी।
सरकार भुगतेगी अंजाम
राजस्थान राज्य रोडवेज संयुक्त कर्मचारी मोर्चा की हड़ताल लगातार पांचवे दिन जारी रहने से अब 60 लाख का राजस्व घाटा अकेले नागौर आगार को हो चुका है। जिले भर का आंकड़ा जोडऩे पर यह राशि अब करोड़ों में पहुंच गई है। धरना स्थल पर इकाई एटक के अध्यक्ष हरीराम जाजड़ा ने कहा कि प्रदेश सरकार राजस्थान रोडवेज को बंद करने का प्रयास कर रही है। परिवहन मंत्री की नीयत बिलकुल साफ नहीं है। आखिरकार क्या कारण रहा है कि गत 27 जुलाई को हुए समझौते में शािमल बिंदुओं को लागू करने से परिवहन मंत्री पीछे हट गए। परिवहन मंत्री दरअसल रोडवेज का निजीकरण करने की साजिश के साथ ही इसे पूरी तरह से खत्म करने पर आमादा हो गए हैं, लेकिन एक सवाल है कि कोटे तहत यात्राएं क्या प्राइवेट बसें कराती हैं। स्वतंत्रता सेनानी एवं दिव्यांगों व छात्रों को रियायती दर पर यात्राएं केवल रोडवेज कराती है। इसके बाद भी रोडवेज के अहित में परिवहन मंत्री लगे हुए हैं। प्रदेश सरकार ने जल्द ही कारगर कदम नहीं उठाए तो फिर बिगड़े हुए अंजाम की जिम्मेदार वह खुद होगी।

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