गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार
पिता रूपाराम बोकोलिया ने जब सुना कि उसके तीनों बेटे इस दुनिया में नहीं रहे तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई और वह बेहोश हो गया। दो बहनों व मां को पता चला तो वे भी बेहोश हो गईं। गुरुवार शाम को तीनों के शव जैसे ही गांव में पहुंचे तो गांव में कोहराम मच गया। एक-एक करके जैसे ही शव उतारे गए तो महिलाएं और परिजन विलाप करते हुए गिर पड़े। सैकड़ों की संख्या में उपस्थित ग्रामीणों ने महिलाओं और परिजनों को संभाला। अंतिम दर्शन के बाद तीनों अर्थियां एक साथ उठी तो पूरा गांव रो पड़ा। वहीं, जब एक साथ तीन चिताओं की लपटें उठी तो हर किसी की सिसकियां निकल रही थी। गमगीन माहौल में तीनों भाइयो का अंतिम संस्कार किया गया।
उठा पिता का साया
हादसे के बाद बच्चे अपने पिता के शव को देख कर बार-बार लिपटते रहे। तीनों मृतक भाइयो में से सबसे बड़े भाई तिलोक के छोटे-छोटे बच्चे हैं और पढ़ रहे हैं। बच्चे बार बार-अपनी मां से पूछ रहे थे कि क्या अब पापा कभी नहीं आएंगे। वहीं, मृतक तिलोक की पत्नी गंगा देवी भी बेसुध हो रही थी। उसकी आंखें रो-रोकर पत्थर हो गई।
हादसे से रूपाराम का परिवार सदमे में
जावला निवासी रेगर समाज के रूपाराम बोकोलिया के तीन पुत्र थे, जो कोटा में कई सालों से टायर का काम करते थे। दीपावली के दिन सुबह ही कोटा की चम्बल नदी में गाडिय़ों को धोने के लिए गए थे। इसके बाद गाडिय़ा धोकर एक भाई नदी में नहाने उतरा तो पैर फिसलकर डूबने लगा, जिस पर पीछे से दूसरा व तीसरा उसे बचाने नदी में उतरे, लेकिन तीनों को ही मौत का सामना करना पड़ा। हादसे में तिलोक रेगर (२७), गोविंद रेगर (21) व युवराज रेगर (17) की मौत हो गई। हादसे की सूचना के बाद कोटा पुलिस ने चम्बल नदी में शवों को तलाश कर बाहर निकाला तथा पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सुपुर्द किया। इसके बाद गुरुवार शाम को शव जावला लाए गए।