video---500 साल पुरानी परम्परा आज भी निभा रहे माईच
नागौरPublished: Mar 09, 2023 01:24:35 pm
होली पर शरीर पर सफेद मिट्टी का लेप , हाथ में दंड और गले में रोहिड़े की माला, भिक्षा मांगने देशभर से शामिल होते है इस गौत्र के लोग


मेड़ता सिटी. इंदावड़ में फक्कड़ के रूप में नाचते-झूमते भिक्षा मांगते माईच समाज के लोग।
राधेश्याम शर्मा
मेड़ता सिटी. (नागौर). जिनकी अनदेखी करने पर ट्रेन तक रुक गई। 42 इंजन के इस्तेमाल के बाद जब ट्रेन नहीं चली और फिर उनकी शरण में जाकर माफी मांगने पर एक नारियल मात्र से फिर ट्रेन रवाना हो गई। ऐसे चमत्कारी जाेगी बाबा की ओर से करीब 500 साल पहले यह आशीर्वाद दिया गया था कि होली के अगले दिन धुलंडी पर दो साल में एक बार सफेद मिट्टी का लेप लगाकर भिक्षा मांगोगे तो कामना पूरी होगी। उन्हीं की इस परंपरा को निर्वहन कर रहे हैं उनके अनुयायी माईच गौत्र के लोग। मेड़ता से 16 किमी दूर इंदावड़ में आज भी होली के अगले दिन आपको ऐसी अद्भुत होली देखने को मिलेगी।
इंदावड़ में रहने वाले माईच गौत्र के लोगों के साथ प्रदेश एवं देश के अन्य राज्यों के माईच गौत्र के लोग यहां पहुंचते हैं। धुलंडी के दिन शरीर पर पांडू, चाइना क्ले व सफेद मिट्टी का लेप लगाते हैं और निकल पड़ते हैं गली-मोहल्लों में भिक्षा मांगने। दरअसल, जोगी बाबा के आशीर्वाद अनुसार यह आयोजन दो साल में एक बार होता हैं। जिसके तहत 2021 में इसका आयोजन होने के बाद इस होली पर यह परंपरा निभाई गई। इसको लेकर इंदावड़ के साथ क्षेत्र के बीटन, बड़गांव, मांडल जोधा, पादूखुर्द, पादूकलां और राज्य के सीकर, झूंझुनु सहित देश के अन्य राज्यों से माईच गौत्र के लोग इंदावड़ पहुंचे। शरीर पर सफेद मिट्टी का लेप लगा, ऊंट की मिंगणी व रोहिड़े के फूल की माला पहन फक्कड़ का वेश धारण करने के बाद ढोल-नगाड़ों की धुन व जोगी बाबा के भजनों के साथ इंदावड़ स्थित डूडियों के मोहल्ले से सैंकड़ों की संख्या में यह लोग रवाना हुए। गांव के मुख्य मार्गों से होते हुए निकले और भिक्षा ली। भिक्षा में लोगों की ओर से इन्हें अनाज, घी, गुड़ एवं नकदी दी जाती है।
धुलंडी के दिन जन्मे बच्चे को भी लगाई जाती है लेप