सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों एडीएम ने जिलेभर में इस संबंध में जानकारी मांगी थी कि किसने, कितनी जमीन स्कूल के लिए दान दी। ब्लॉक स्तर से मिली जानकारी में 84 लोगों की जानकारी सामने आई है, किसी ने एक बीघा तो किसी ने नौ बीघा जमीन देकर शिक्षा की अलख जगाने में सहयोग दिया है। जमीन दान करने वालों की फेहरिस्त में लाडनूं के शहीद प्रहलाद सिंह जोधा की वीरांगना ओम कंवर भी शामिल है, जिसने रताऊ के राउमा विद्यालय के लिए करीब एक बीघा जमीन दान दी।
सूत्रों के अनुसार जिलेभर के सभी सरकारी स्कूलों के पास जमीन है, आधे-अधूरे भवन पूरे होने का काम चल तो रहा है पर रफ्तार जरूर धीमी है। केवल आठ-दस स्कूल ही भूमि विहीन है, भामाशाह इसके लिए भी आगे आ रहे हैं, एक-दो स्कूलों को तो जमीन जल्द ही मिलने वाली है। नागौर का चेनाराम हो या रियांबड़ी का पृथ्वी सिंह, जायल का भंवर सिंह हो या मकराना की कानी देवी। किसी ने एक बीघा दी तो किसी ने आठ बीघा।
कुचामन में सर्वाधिक 24 सूत्रों के अनुसार इन 84 में से 24 भामाशाह कुचामन के हैं, जिन्होंने यहां के स्कूलों के लिए जमीन दान दी। नावां और लाडनूं में 11-11, मकराना में सात, जायल में पांच, नागौर-डेगाना में चार-चार, डीडवाना में तीन, मौलासर में दो, मेड़ता, खींवसर और परबतसर के एक-एक स्कूल के लिए भामाशाह ने जमीन दान दी।
लालास में 80 लाख दिया ग्रामीणों ने सूत्र बताते हैं कि लालास में एक विद्यालय दो करोड़ में तैयार होगा। इसके लिए ग्रामीणों ने अस्सी लाख से अधिक एकत्र कर लिए हैं, भवन का शेष खर्च सरकार करेगी। शिक्षा की अलख जगाने के लिए यह अनूठा करतब यहीं नहीं हो रहा। अन्य स्कूलों के भी अलग-अलग कार्यों के लिए भामाशाह काफी खर्च कर रहे हैं।
इनका कहना सरकारी स्कूलों के लिए जमीन दान करने वाले 84 भामाशाह को कलक्टर जल्द सम्मानित करेंगे। आठ-दस स्कूल भूमि विहीन है, इनके लिए भी दानदाता सामने आ रहे हैं। -बस्तीराम सांगवा, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा नागौर