एफआईआर में सिर्फ पांच नाम सूत्र बताते हैं कि घूसकाण्ड उजागर होने के बाद सुरेश कुमार और वीरेंद्र सांगवा को तो न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। पूनाराम फरार था। इस दौरान तैयार हुई एफआईआर में इन तीनों के अलावा एक्सईएन रमजान और परियोजना अधिकार (लेखा) रामनिवास तापडिय़ा का नाम दर्ज किया गया। यानी सीईओ कार्यालय के दो प्रमुख अधिकारियों के नाम इस एफआईआर में दर्ज होने के चलते संदेह इनसे जुड़े कई कर्मचारियों को भी जांच के दायरे में रखा गया था। बाद में मामले के आईओ रूप सिंह चारण सीईओ कार्यालय भी गए और कुछ कागजात लेकर कई कर्मचारियों से पूछताछ की।
एक्सईएन 18 को ही हो गए एपीओ एक्सईएन रमजान को दरअसल 18 अप्रेल को ही एपीओ कर दिया गया। हालांकि इन पर अभी कोई गड़बड़ी की जांच न तो पूरी हो पाई न ही इनकी कोई संलिप्तता उजागर हुई है। जिला परिषद के सीईओ कार्यालय में तबादले का दौर चल रहा है। एईन दिनेश को चूरू तो महावीर बांगड़ा को नावां स्थानांतरित किया गया है। सहायक सांख्यिकी अधिकारी रामवीर व एक कर्मचारी बंशीलाल का भी तबादला हुआ है। ये सभी तबादले सामान्य हैं।
राज में राज सूत्रों का कहना है कि सरपंच जो प्रस्ताव भेजते हैं, उनको स्वीकृति देने और बिल पास कराने की सतत प्रक्रिया है। इसमें तकनीक के साथ एकाउंट का पक्ष जांचा/खंगाला जाता है। बताया जाता है कि तापडिया ने जनवरी में ही यहां कार्यभार संभाला है। जिस मामले पर इतना बड़ा हंगामा हुआ वो प्रस्ताव/फाइल 14 मार्च को तापडिय़ा ने ही क्लीयर किया था।
यह है मामला सूत्रोंके अनुसार हरियाणा निवासी रमेशपाल ने इस संबंध में एसीबी पाली को शिकायत की थी। इस शिकायत में उन्होंने बताया कि गंगानगर निवासी सुरेश नायक हाल में नागौर सीईओ कार्यालय में कनिष्ठ सहायक है। वो नागौर जिले के एक ग्राम पंचायत के विकास कार्य (पानी के टांके व सीसी ब्लॉक ) प्रस्ताव ले रहे थे। इन प्रस्तावों की वित्तीय स्वीकृति दिलवाने के लिए सुरेश कुमार ने दो प्रतिशत के हिसाब से एक लाख 90 हजार की रिश्वत मांगी। पूर्व में इस शिकायत को सत्यापित करा दिया गया। डिप्टी महिपाल चौधरी के नेतृत्व में 23 मार्च को एसीबी टीम नागौर पहुंची। परिवादी ने रिश्वत के लिए सुरेश को बुलाया। मानासर से कलक्ट्रेट कार्यालय नागौर जाने वाली रोड पर जिला परिषद की साइड में सरस बूथ के पास स्कॉर्पियो गाड़ी आई। इसमें सुरेश के साथ दलाल वीरेंद्र सांगवा व पूनाराम बैठे थे। इसी बीच एसीबी टीम ने धावा बोला और सुरेश के साथ वीरेंद्र सांगवा को दबोच लिया, जबकि पूनाराम फरार हो गया।
इनका कहना सुरेश कुमार और वीरेंद्र सांगवा तो पकड़ में आ गए थे , जबकि पूनाराम अभी भी फरार है। एफआईआर में एक्सईएन रमजान और परियोजना अधिकारी (लेखा) रामनिवास तापडिय़ा का नाम होने से जांच की जा रही है ताकि सत्यता सामने आ सके।
-रूपसिंह चारण, आईओ, एसीबी अजमेर ........................................................................................................................................................... जनवरी में ही कार्यभार संभाला। मेरा इस तरह की गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है। एसीबी के डिप्टी महिपाल चौधरी ने प्रस्ताव का प्रोसेस पूछा तो उन्हें सब बता दिया। नाम तो कोई भी लिखा देता है।
-रामनिवास कापड़ी, परियोजना अधिकारी (लेखा) जिला परिषद नागौर