अब ज्यादा सटीक मिलेगी रेलों की जानकारी , डेटा लॉगर्स में रिकॉर्ड होगी जानकारी, मंत्रालय ने दिए सूचना अद्यतन करने के निर्देश
नागौर•Mar 07, 2018 / 12:53 pm•
Dharmendra gaur
NWR news
नागौर. रेलगाडिय़ों के आगमन व प्रस्थान के सही आंकड़ों की जानकारी देने के लिए रेल मंत्रालय ने 41 बड़े रेलवे जंक्शनों पर हस्तचालित जानकारी देने की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया है। रेलवे बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को 1 जनवरी 2018 से डेटा लॉगर्स में रेलों के आगमन और प्रस्थान की जानकारी देने का निर्देश दिया है। निर्देश के तहत यह भी कहा गया है कि समयबद्धता के कम होने के भय का त्याग करते हुए वे प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराएं। इस प्रणाली को सभी टर्मिनल स्टेशनों में लागू करने की योजना है। इसके लागू होने से यात्रियों को विश्वसनीय और अद्यतन जानकारी प्राप्त होगी।
ट्रेनों की आवाजाही होगी रिकॉर्ड
रेलवे ने हावड़ा, मुंबई सीएसटी, मुगलसराय, लखनऊ, कानपुर, चेन्नई सेंट्रल, अहमदाबाद और बेंगलूरु समेत देश के 41 स्टेशनों में इस तरह के डेटा लॉगर्स उपलब्ध कराए हैं। डेटा लॉगर्स के माध्यम से समय के अनुसार रेलों की आवाजाही को रिकॉर्ड किया जा रहा है। इस प्रणाली की सहायता से लगभग 80 प्रतिशत मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के आवागमन के समय की निगरानी की जा रही है। यह प्रणाली रेलों की समय की पाबंदी को बेहतर बनाएगी और यात्रियों को रेलों की रियल टाइम स्थिति के बारे में जानकारी मिलेगी।
क्या है डेटा रिकॉर्डर
डेटा लॉगर या डेटा रिकॉर्डर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो अंतर्निहित उपकरण या सेंसर के साथ या बाह्य उपकरणों और सेंसर के माध्यम से समय के अनुसार या स्थान के अनुसार डेटा रिकॉर्ड करता है। रेलवे का यह प्रयास है कि ट्रेनें सही समय पर चलें और यात्रियों को विश्वसनीय तथा सटीक जानकारी उपलबध हो। डेटा लॉगर्स स्टेशनों पर सिग्नल गियर्स की कार्यप्रणाली की निगरानी करता है। ट्रेनों के नियंत्रण के लिए ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क तैयार किए गए हैं और इन्हें क्षेत्रीय कार्यालयों के नियंत्रण केन्द्रों से जोड़ दिया गया है।
केन्द्रीय सर्वर में अपलोड होगी सूचना
जानकारी के अनुसार डेटा लॉगर्स की सहायता से ट्रेनों के आवागमन संबंधी जानकारी स्वत: केन्द्रीय सर्वर में अपलोड हो जाएगी। इसके लिए अपडेट कंट्रोल ऑफिस एप्लीकेशन (सीओए) का उपयोग किया जा रहा है। सीओए को ऑप्टिक फाइबर के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय के एक टर्मिनल स्टेशन तथा एक अन्य स्टेशन से जोड़ा है। पायलट परियोजना के तौर पर 17 टर्मिनल स्टेशनों और 17 अन्य स्टेशनों में इसे लागू किया गया है। यह प्रणाली 1 जनवरी 2018 से कार्य कर रही है। लगभग 80 प्रतिशत मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों की निगरानी इस प्रणाली से की जा रही है।