जिले में कई जगहों पर पल रहे डेंगू-मलेरिया बीमारियों के मच्छर यहां पर पड़े लाखो टन कचरे की उठती दुर्गन्ध से स्कूल में अध्ययनरत बच्चे जहां ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते, वहीं विद्यालय के संस्था प्रधान की ओर से इस संबंध में नगरपरिषद एवं जिला कलक्टर को ज्ञापन दिए जाने के बाद भी स्थिति नहीं स्थिति नहीं सुधरी। इतना नहीं, बल्कि कचरा यार्ड होने के कारण इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण के साथ ही भू-जल के भी अब संक्रमित होने की आशंकाएं बढ़ गई है। प्रशासन ने जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया तो तो फिर स्थिति भयावह हो सकती है।
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प्रदेश में स्वाइन फ्लू, डेंगू एवं मलेरिया को लेकर जहां चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने रेड अलर्ट जारी कर इसके लार्वा की तलाश कर इन्हें नष्ट करने के निर्देश दिए हैं, वहीं शहर में जिम्मेदार माने-जाने वाले विभाग ने बच्चों के स्कूल के सामने ही अघोषित कचरा यार्ड बना दिया है। मॉडल स्कूल के ठीक सामने महज 25-30 मीटर की दूरी पर एक बड़े मैदान में पूरे शहर का कचरा लाकर डालने का खेल करीब चार से पांच माह से चल रहा है। वर्तमान में यहां पर एकत्रित हो चुके लाखों टन कचरे के कारण न केवल इस पूरे मार्ग के आधा किलोमीटर एरिया में दुर्गन्ध बनी रहती है, बल्कि इसकी वजह से अक्सर स्कूल में पढऩे के दौरान बच्चे भी उल्टी करने लग जाते हैं। मॉडल स्कूल विद्यालय प्रशासन की माने तो इसी कचरे के कारण पूरे क्षेत्र में विषैले मच्छरों की अधिकता होने के कारण आए दिन अब बच्चों की सेहत बिगडऩे लगी है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विद्यालय के संस्था प्रधान मनीष पारीक ने खुद ही जिला कलक्टर से मुलाकात कर उनको वस्तुस्थिति की न केवल जानकारी दी, बल्कि वहां पर एकत्रित होते कचरे के कारण बच्चों की बिगड़ती सेहत को भी बताया।
प्रदेश में स्वाइन फ्लू, डेंगू एवं मलेरिया को लेकर जहां चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने रेड अलर्ट जारी कर इसके लार्वा की तलाश कर इन्हें नष्ट करने के निर्देश दिए हैं, वहीं शहर में जिम्मेदार माने-जाने वाले विभाग ने बच्चों के स्कूल के सामने ही अघोषित कचरा यार्ड बना दिया है। मॉडल स्कूल के ठीक सामने महज 25-30 मीटर की दूरी पर एक बड़े मैदान में पूरे शहर का कचरा लाकर डालने का खेल करीब चार से पांच माह से चल रहा है। वर्तमान में यहां पर एकत्रित हो चुके लाखों टन कचरे के कारण न केवल इस पूरे मार्ग के आधा किलोमीटर एरिया में दुर्गन्ध बनी रहती है, बल्कि इसकी वजह से अक्सर स्कूल में पढऩे के दौरान बच्चे भी उल्टी करने लग जाते हैं। मॉडल स्कूल विद्यालय प्रशासन की माने तो इसी कचरे के कारण पूरे क्षेत्र में विषैले मच्छरों की अधिकता होने के कारण आए दिन अब बच्चों की सेहत बिगडऩे लगी है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विद्यालय के संस्था प्रधान मनीष पारीक ने खुद ही जिला कलक्टर से मुलाकात कर उनको वस्तुस्थिति की न केवल जानकारी दी, बल्कि वहां पर एकत्रित होते कचरे के कारण बच्चों की बिगड़ती सेहत को भी बताया।
चेतावनी से बेखौंफ संचालन में लगे निजी अस्पताल-लैब
तो फिर सेहत नहीं, जमीन भी निगल लेगा कचरा
डंपिंग यार्ड के आसपास के इलाकों में भू-जल बुरी तरह से प्रदूषित हो जाता है. इस वजह से इन इलाकों में संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका हमेशा बनी रहती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि कचरे की वजह आसपास की हर चीज जहरीली होने लगती है। वैज्ञानिक शोधों से स्पष्ट है कि कचरा यार्ड होने से पानी और हवा तक में जहर घुल जाता है। शोधों में ऐसे कई स्थानों की जांच में भी पाया गया कि पानी के प्रदूषण का स्तर बहुत भयावह स्थिति में पहुंच जाता है। पानी में खतरनाक स्तर पर सल्फेट, नाइट्रेट, कैल्शियम, मैगनीशियम पाए गए हैं। डंपिंग यार्ड के आसपास के इलाकों का पानी कठोर जल में तब्दील हो जाता है। इसे किसी भी सूरत में पीया नहीं जा सकता। इस पानी को नहाने-धोने के लिए इस्तेमाल में लाने पर त्वचा संबंधी रोगों से ग्रसित होने की आशंकाएं बढ़ जाती है। प्रदूषित पानी के उपयोग की वजह से इन इलाकों के लोगों को आंत संबंधी बीमारियों से लगातार जूझना पड़ता है। कई बार शरीर में निर्जलीकरण की समस्या से लोगों की हालत खराब हो जाती है।
तो फिर सेहत नहीं, जमीन भी निगल लेगा कचरा
डंपिंग यार्ड के आसपास के इलाकों में भू-जल बुरी तरह से प्रदूषित हो जाता है. इस वजह से इन इलाकों में संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका हमेशा बनी रहती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि कचरे की वजह आसपास की हर चीज जहरीली होने लगती है। वैज्ञानिक शोधों से स्पष्ट है कि कचरा यार्ड होने से पानी और हवा तक में जहर घुल जाता है। शोधों में ऐसे कई स्थानों की जांच में भी पाया गया कि पानी के प्रदूषण का स्तर बहुत भयावह स्थिति में पहुंच जाता है। पानी में खतरनाक स्तर पर सल्फेट, नाइट्रेट, कैल्शियम, मैगनीशियम पाए गए हैं। डंपिंग यार्ड के आसपास के इलाकों का पानी कठोर जल में तब्दील हो जाता है। इसे किसी भी सूरत में पीया नहीं जा सकता। इस पानी को नहाने-धोने के लिए इस्तेमाल में लाने पर त्वचा संबंधी रोगों से ग्रसित होने की आशंकाएं बढ़ जाती है। प्रदूषित पानी के उपयोग की वजह से इन इलाकों के लोगों को आंत संबंधी बीमारियों से लगातार जूझना पड़ता है। कई बार शरीर में निर्जलीकरण की समस्या से लोगों की हालत खराब हो जाती है।
अब बच्चों को जिम्मेदार बनाने के लिए सरकार लाखों का करेगी खर्च
इनका कहना है…
मॉडल स्कूल के ठीक सामने बड़े मैदान में लाखों टन कचरा पड़ा हुआ है। वर्तमान में पूरे शहर का कचरा यहीं डाला जा रहा है। इस संबंध में नगरपरिषद व प्रशासन से लिखित में भी अनुरोध किया जा चुका है। इसके कारण बच्चों की सेहत खराब होने के संदर्भ में जिम्मेदारों को अवगत कराया जा चुका है। जल्द ही कारगर कदम नहीं उठे तो फिर हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं।
मनीष पारीक, कलस्टर इंचार्ज एवं संस्था प्रधान, विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल नागौर
इनका कहना है…
मॉडल स्कूल के ठीक सामने बड़े मैदान में लाखों टन कचरा पड़ा हुआ है। वर्तमान में पूरे शहर का कचरा यहीं डाला जा रहा है। इस संबंध में नगरपरिषद व प्रशासन से लिखित में भी अनुरोध किया जा चुका है। इसके कारण बच्चों की सेहत खराब होने के संदर्भ में जिम्मेदारों को अवगत कराया जा चुका है। जल्द ही कारगर कदम नहीं उठे तो फिर हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं।
मनीष पारीक, कलस्टर इंचार्ज एवं संस्था प्रधान, विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल नागौर