scriptVideo : लम्बे इंतजार के बाद नागौर जिले में खुली नंदीशाला, सांडों से राहत मिलने की उम्मीद | After a long wait, Nandisala opened in Nagaur, hope to get relief | Patrika News

Video : लम्बे इंतजार के बाद नागौर जिले में खुली नंदीशाला, सांडों से राहत मिलने की उम्मीद

locationनागौरPublished: Jun 13, 2021 11:02:47 am

Submitted by:

shyam choudhary

तीन साल पहले मुख्यमंत्री ने बजट में की थी प्रत्येक जिले में एक नंदीशाला खोलने की घोषणा,शहरवासियों के साथ किसानों को भी मिलेगी नर गोवंश से निजात

After a long wait, Nandisala opened in Nagaur, hope to get relief from bulls

After a long wait, Nandisala opened in Nagaur, hope to get relief from bulls

नागौर. गांवों एवं शहरों में नर गोवंश की बढ़ती संख्या एवं उनके कारण उत्पन्न हो रही समस्या से अब राहत मिलने की उम्मीद जगी है। जिले के पशुपालन विभाग एवं जिला प्रशासन ने आखिरकार तीन साल बाद श्रीराम गोशाला समिति के सहयोग से नंदीशाला खोलने में सफलता प्राप्त कर ली है। शहर के निकट चंूटीसरा गांव की सरहद में खोली गई नंदीशाला में इन दिनों 741 सांड (नर गोवंश) संधारित किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2018-19 के बजट में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने प्रत्येक जिले में एक एवं नागौर जिले में गोशालाओं की संख्या ज्यादा होने के चलते दो (नागौर व कुचामन सिटी) नंदीशाला खोलने की घोषणा की थी, लेकिन विभिन्न कारणों से मूर्त रूप नहीं ले पाई। कुछ माह पूर्व जिला कलक्टर एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने गंभीरता दिखाते हुए चूंटीसरा की सरहद में संचालित गोशाला के साथ नंदीशाला खोलने की प्रक्रिया पूर्ण कर निर्माण कार्य के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग को 45 लाख रुपए का बजट आवंटित किया। इस योजना में कुल 50 लाख रुपए का खर्च होगा, जिसमें पांच लाख रुपए गोशाला समिति द्वारा वहन किए जाएंगे।
टिन शेड व खेळियों का निर्माण
नंदीशाला में एक हजार गुणा 20 फीट के टिन शेड का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, इसके साथ गोवंश के लिए पानी की खेळियां, चारे के ठाण आदि का काम भी हो चुका है, जबकि नंदीशाला का कार्यालय व पशुओं की चिकित्सा के लिए एक कक्ष का निर्माण भी किया जा रहा है।
500 से अधिक रखने होंगे सांड
विभागीय अधिकारियों के अनुसार जिला स्तरीय नंदीशाला में कम से कम 500 नर गोवंश को रखना अनिवार्य होगा। इससे अधिक चाहे जितने नर गोवंश रखे जा सकेंगे, उसी के अनुरूप अनुदान दिया जाएगा। हालांकि वर्तमान में यहां 741 सांड संधारित किए जा रहे हैं।
जिले में सबसे अधिक गोशालाएं
पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 368 गोशालाएं पंजीकृत हैं, जिनमें करीब एक लाख गोवंश संधारित है। सरकारी आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि नागौर में गोवंश के साथ गोशालाओं की संख्या भी प्रदेश में सबसे अधिक है। यह स्थिति आज की नहीं, बल्कि प्राचीन समय से है। नागौरी नस्ल के बैल देश ही नहीं विश्व प्रसिद्ध हैं, जिसके चलते पशु मेले भी नागौर में सबसे अधिक आयोजित होते हैं। नागौर, मेड़ता व परबतसर के पशु मेलों को तो राज्य स्तरीय मेलों का दर्जा प्राप्त है।
खरीफ की फसल को नष्ट करते हैं सांड
जिले में गत वर्षों में अचानक बढ़ी नर गोवंश की संख्या अब किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। स्थिति यह है कि नर गोवंश/सांड खेतों में खड़ी फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ गोशाला संचालक भी नर गोवंश को गोशाला में रखने से मना कर रहे थे, जिसको देखते हुए तीन साल पहले मुख्यमंत्री ने नंदीशाला खोलने की घोषणा की थी।
मीठे पानी की आवश्यकता
राज्य सरकार के सहयोग से हमने नंदीशाला का संचालन शुरू कर दिया हैं, यहां वर्तमान में 741 नर गोवंश हैं। छाया के लिए टिन शेड निर्माण भी करवा दिया है। अब यहां मीठे पानी की परेशानी है, जिसके लिए जिला कलक्टर व पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक को अवगत कराया है।
– सुखराम सोलंकी, प्रबंधक, नंदीशाला, नागौर
नंदीशाला का संचालन शुरू
भारत सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अंतर्गत नागौर जिले की जिला स्तरीय नंदीशाला का संचालन चूंटीसरा के पास शुरू करवा दिया है, जहां नर गोवंश को रखा जा रहा है। यहां चारे-पानी की व्यवस्था प्रबंधक द्वारा की जा रही है। यहां शहर सहित अन्य स्थानों से निराश्रित व लावारिस नर गोवंश को लाया जा रहा है।
– डॉ. जगदीश बरवड़, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, नागौर
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